बैंक कर्मचारियों के लिए बड़ी खबर: सप्ताह में 5 Days Working और 2 दिन अवकाश के नियम पर नया अपडेट

punjabkesari.in Tuesday, Jul 15, 2025 - 03:13 PM (IST)

नेशनल डेस्क: लंबे समय से बैंक कर्मचारियों की ओर से की जा रही सप्ताह में पांच दिन कार्य और दो दिन अवकाश (5-Day Work Week) की मांग अब निर्णायक मोड़ पर पहुंचती दिख रही है। बैंकों में कार्य संस्कृति सुधारने और कर्मचारियों को संतुलित कार्य-जीवन देने के उद्देश्य से भारतीय बैंक संघ (IBA) और कर्मचारी संगठनों के बीच इस मुद्दे पर विस्तार से चर्चा हो चुकी है। अब यह प्रस्ताव सरकार के पास भेजा जा चुका है, लेकिन अंतिम निर्णय अब भी बाकी है।

 क्या है प्रस्ताव?
बैंक यूनियनों और भारतीय बैंक संघ के बीच कई दौर की बैठकों के बाद यह सहमति बनी है कि बैंक सप्ताह में केवल पांच दिन ही खुलें- सोमवार से शुक्रवार तक। शनिवार और रविवार को दो दिन का साप्ताहिक अवकाश मिले। यह कदम बैंक कर्मचारियों की लंबे समय से चली आ रही मांग को पूरा करने की दिशा में एक बड़ा बदलाव साबित हो सकता है।

सरकार और RBI की भूमिका
हालांकि IBA और यूनियनों के बीच सहमति बन चुकी है, लेकिन जब तक इस पर भारत सरकार और भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की औपचारिक मुहर नहीं लगती, यह नियम लागू नहीं हो सकता। अब तक न तो सरकार और न ही RBI की ओर से इस प्रस्ताव पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया या अधिसूचना जारी की गई है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, अभी इस मुद्दे पर RBI का कोई स्पष्ट रुख सामने नहीं आया है।

काम के घंटे बदल सकते हैं
यदि सप्ताह में केवल पांच दिन कार्य का नियम लागू होता है, तो इसके साथ-साथ बैंकों के कामकाज के घंटे भी बदले जाएंगे। प्रस्तावित बदलाव के अनुसार:
-बैंक खुलने का समय: सुबह 10:00 बजे से बदलकर 9:45 बजे
-बैंक बंद होने का समय: शाम 5:00 बजे से बढ़ाकर 5:30 बजे। इससे ग्राहकों को अतिरिक्त 45 मिनट की बैंकिंग सुविधा मिलेगी, जिससे दो दिन के अवकाश की भरपाई हो सकेगी।

वर्तमान व्यवस्था क्या है?
 बैंक हर रविवार को बंद रहते हैं। दूसरे और चौथे शनिवार को अवकाश होता है, जबकि पहले और तीसरे शनिवार को सामान्य रूप से बैंक खुले रहते हैं।
यह व्यवस्था 2015 में लागू की गई थी और तभी से हर शनिवार को छुट्टी की मांग की जा रही है, लेकिन अब तक यह लागू नहीं हो पाई।

 बैंक कर्मचारियों की राय
कर्मचारियों का मानना है कि 5-दिवसीय कार्य सप्ताह लागू होने से:
-कार्य का बोझ संतुलित होगा।
-कर्मचारियों को परिवार व निजी जीवन के लिए अधिक समय मिलेगा।
-वर्क-लाइफ बैलेंस सुधरेगा।
-बैंकिंग सेवाओं की गुणवत्ता और दक्षता में सुधार हो सकता है।


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Content Writer

Anu Malhotra

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