मृत्यु पर विजय दिलाता है : संजीवनी मंत्र

punjabkesari.in Saturday, Aug 08, 2015 - 04:43 PM (IST)

ॐ त्र्यंबकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टि वर्धनम्।
ऊर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
 
हम भगवान शंकर की पूजा करते हैं, जिनके तीन नेत्र हैं, जो प्रत्येक श्वास में जीवन शक्ति का संचार करते हैं, जो सम्पूर्ण जगत का पालन-पोषण अपनी शक्ति से कर रहे हैं। उनसे हमारी प्रार्थना है कि वह हमें मृत्यु के बंधनों से मुक्त कर दें, जिससे मोक्ष की प्राप्ति हो जाए। जिस प्रकार एक ककड़ी बेल में पक जाने के बाद उस बेल रूपी संसार से मुक्त हो जाती है उसी प्रकार हम भी इस संसार रूपी बेल में पक जाने के बाद जन्म मृत्यु के बंधनों से सदैव के लिए मुक्त हो जाएं और आपके चरणों की अमृतधारा का पान करते हुए शरीर को त्याग कर आप में विलीन हो जाएं।
 
यह जीवनदायी मंत्र अकाल मृत्यु, दुर्घटना इत्यादि से रक्षा करता है। महामृत्युंजय मंत्र मंत्रों में राजा है। यह मृत संजीवनी मंत्र है। इस मंत्र को रोगनाशक व शांतिदायक मंत्र भी माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि मृत्युंजय मंत्र जप से रोग शैया पर पड़ा रोगी भी शीघ्र रोगमुक्त हो जाता है। रोग या अनिष्ट की आशंका होने पर इस मंत्र का जप स्वयं भी किया जा सकता है।
 

जो कोई भी इस मंत्र की साधना विधिवत रूप से और पूर्ण श्रद्धा से करता है  उसे उसका फल अवश्य मिलता है। निश्चित संख्या में इसके शुद्ध जप से इच्छित फल की प्राप्ति होती है। जप पूजन में दृढ़ निष्ठा, आस्था तथा प्रभु की कृपा का विश्वास होना आवश्यक है। 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Recommended News

Related News