बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट में मेक इन इंडिया को झटका

punjabkesari.in Thursday, Jan 18, 2018 - 06:46 PM (IST)

नेशनल डेस्क: भारत की महत्वाकांक्षी परियोजना बुलेट ट्रेन में काफी बढ़ी भूमिका जापान की रहेगी और 17 अरब डालर की इस परियोजना में जापानी कंपनियों को ही बड़े ठेके मिलने के आसार हैं। यह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की आर्थिक नीति के प्रमुख घटक- मेक इन इंडिया-को बढ़ावा देने के कदम के अनुकूल नहीं है।

इस परियोजना से जुड़े पांच शीर्ष सूत्रों ने नई दिल्ली में बताया कि बुलेट ट्रेन की अधिकांश फंडिंग जापान ही कर रहा है और रेल लाइन के कम से कम 70 प्रतिशत तत्वों की आपूर्ति जापानी कंपनी ही कर रही है। प्रधानमंत्री कार्यालय के प्रवक्ता ने इस बारे में टिप्पणी करने से इंकार कर दिया। इस बीच जापान परिवहन मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि दोनों देश अहम घटकों की आपूर्ति पर विचार कर रहे हैं और खरीद उपार्जन संंबंधी नीति इस वर्ष जुलाई तक घोषित कर दी जाएगी।

इस परियोजना को लेकर दोनों देशों के बीच सितंबर 2017 में एक समझौता हुआ था। इस परियोजना में दो अहम बातों पर ध्यान दिया जाना है जिनमें‘मेक इन इंडिया’और‘तकनीक हस्तांतरण’प्रमुख हैं। माना जा रहा है कि भारतीय कंपनियां इस परियोजना से जुड़े क्षेत्रों में विनिर्माण संयंत्र भारत में ही लगाना चाहती हैं ताकि अधिक से अधिक भारतीय युवाओं को रोजगार मिल सके।

दरअसल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार को वर्ष 2019 में आम चुनावों का सामना करना है और इसी वजह से रोजगार सृजन और रोजगार देने के क्षेत्र में उन पर काफी दबाव है। इस परियोजना के आलोचकों का कहना है कि इसमें इतनी धनराशि लगाना व्यर्थ का काम है और इस राशि को कहीं और खर्च किया जा सकता है। बुलेट ट्रेन परियोजना के क्रियान्वयन का जिमा संभाल रही एजेंसी नेशनल हाई स्पीड रेल कॉरपोरेशन के प्रबंध निदेशक अचल खरे ने बताया कि जापानियों को शायद इस बात की चिंता है कि दोनों देशों की कार्य संस्कृति अलग है।

इस बीच भारतीय रेल के दो अहम अधिकारियों ने कहा कि जापानी कंपनियों ने इस बात को कई बार उठाया है कि उन्हें भारतीय कंपनियों की कार्यक्षमता और इसे सही समय सीमा में पूरा करने को लेकर संदेह है। गौरतलब है कि विश्व बैंक ने कारोबार करने में आसानी वाले 190 देशों की सूची में भारत को 100वें स्थान पर रखा है।

जापानी परिवहन मंत्रालय में रेलवे यूरों में अंतरराष्ट्रीय इंजीनियरिंग मामलों के निदेशक तोमोयुकी नाकानो का कहना है कि दरअसल मामला यह है कि भारतीय कंपनियों को हाई स्पीड रेल प्रणालियों में तकनीकी विशेषज्ञता हासिल नहीं है और वह नहीं मानते कि काम करने की संस्कृति में कोई खास अंतर है।

इसके बावजूद भारतीय अधिकारियों का कहना है कि इस बुलेट परियोजना में भारतीय कंपनियों की कोई खास बड़ी भूमिका नहीं रहेगी और जापानी कंपनियों को अधिकतर हिस्सेदारी मिलेगी क्योंकि 50 वर्ष के ऋिण को जापान ने ही वित्त पोषित किया है। 


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