ज्योतिष की सलाह: स्त्री हो या पुरूष 8 दिन तक न करें ये काम

punjabkesari.in Tuesday, Mar 15, 2016 - 12:56 PM (IST)

भारतीय ज्योतिष शास्त्र की पंचांग प्रणाली अनुसार मंगलवार दिनांक 15.03.16 प्रातः 11 बजकर 11 मिनट से होलाष्टक प्रारम्भ हो रहे हैं। भारतीय धार्मिक शास्त्रनुसार होलाष्टक होली दहन से पहले आठ दिनों को वो क्रम है जिसमे में कोई भी शुभ काम नहीं किया जाता है, क्योंकि माना जाता है कि इन दिनों में शुभ काम करने से आपको दुख-दर्द, रिश्तों में खटास आती है। जिसके कारण इन दिनों में शुभ काम करने की वर्जित माना गया है। होलाष्टक फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी से लेकर होलिका दहन तक के बीच के आठ दिनों की अवधि को कहा जाता है। अर्थात होली के आठ दिन पहले सें। इन दिनों पर कोई भी शुभ काम संपन्न नहीं किया जाता है। 

शास्त्रीय मान्यता के अनुसार होलाष्टक में नामकरण, विद्या आरंभ, कर्ण छेदन, अन्न प्राशन, चौलकर्म, उपनयन संस्कार, विवाह संस्कार, ग्रह प्रवेश तथा वास्तु पूजन आदि मांगलिक कार्य वर्जित हैं। होलाष्टक की मान्यता उत्तर भारत में अधिक मानी जाती है। इसके पीछे ज्योतिषीय और धार्मिक आधार इस प्रकार है।

होलाष्टक का ज्योतिषीय आधार: होलाष्टक के दौरान शुभ कार्य न होने के पीछे ज्योतिषीय मान्यता भी है। ज्योतिषशास्त्र अनुसार फाल्गुन माह की अष्टमी तिथि को चंद्रमा, नवमी को सूर्य, दशमी को शनि, एकादशी को शुक्र, द्वादशी को गुरु, त्रयोदशी को बुध, चतुर्दशी को मंगल और पूनम को राहु उग्र रूप लेकर मलीन हो जाते हैं। चंद्रमा, सूर्य, शनि, शुक्र, गुरु, बुध, मंगल और राहु के मलीन होने से व्यक्ति की निर्णय क्षमता क्षीण हो जाती है। जिसके कारण व्यक्ति गलत निर्णय लेने लगता है। ऐसा न हो इसी कारण आठ दिनों में उसे किसी भी शुभ काम का फैसला लेने की मनाही होती है।

फाल्गुन पूर्णिमा से आठ दिन पूर्व व्यक्ति का मस्तिष्क अनेक सुखद व दुःखद आशंकाओं से ग्रसित हो जाता है, जिसके परिणामस्वरूप चैत्र कृष्ण प्रतिपदा को अष्ट ग्रहों की नकारात्मक शक्ति के क्षीण होने पर सहज मनोभावों की अभिव्यक्ति रंग, गुलाल आदि द्वारा प्रदर्शित की जाती है। ज्योतिषीय दृष्टि से होली एक दिन का पर्व न होकर पूरे आठ दिन का पर्व है।

आचार्य कमल नंदलाल

ईमेल: kamal.nandlal@gmail.com


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