रहस्य: क्या आप जानते हैं कल पड़ने वाला सूर्य ग्रहण क्या प्रभाव डालेगा
punjabkesari.in Saturday, Sep 12, 2015 - 02:08 PM (IST)
ग्रहण एक खगोलीय घटना है जो खगोलीय पिंडों की विशेष अवस्था व स्थिति के कारण घटती है। वे खगोलीय पिंड पृथ्वी, सूर्य व चंद्रमा जैसे ग्रह, उपग्रह हो सकते हैं। इस दौरान इन पिंडों द्वारा उत्पन्न प्रकाश इन पिंडों के कारण ही अवरूद्ध हो जाता है। भारतीय ज्योतिष में ग्रहणों का बहुत महत्व है क्योंकि उनका सीधा प्रभाव मानव जीवन पर देखा जाता है। चंद्रमा के पृथ्वी के सबसे नजदीक होने के कारण उसके गुरुत्वाकर्षण का सबसे अधिक प्रभाव पड़ता है। इसी कारण पूर्णिमा के दिन समुद्र में सबसे अधिक ज्वार आते हैं और ग्रहण के दिन उनका प्रभाव और अधिक हो जाता है। भूकंप भी गुरुत्वाकर्षण के घटने और बढ़ने के कारण ही आते हैं। यही भूकंप यदि समुद्र के तल में आते है, तो सुनामी में बदल जाते हैं। ग्रहण अधिकाशंतः किसी न किसी आने वाली विपदा को दर्शाते हैं।
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सूर्यग्रहण में चंद्रमा, सूर्य और पृथ्वी एक ही सीध में होते हैं और चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच होने की वजह से चंद्रमा की छाया पृथ्वी पर पड़ती है। सूर्य ग्रहण की खगोलिए घटना अमावस्या के दिन घटित होती है। पूर्ण ग्रहण तब होता है जब खगोलीय पिंड जैसे पृथ्वी पर प्रकाष पूरी तरह अवरुद्ध हो जाए। आंषिक ग्रहण की स्थिति में प्रकाश का स्रोत पूरी तरह अवरुद्ध नहीं होता। पृथ्वी की एक निश्चित भूगौलीक स्थान पर 360 वर्षों तक सूर्य ग्रहण की पुनरावृत्ति नहीं हो सकती। आंशिक सूर्य ग्रहण धरती की जिस जगह पर लगता है वहां से 3000 मील की दूरी से भी दृष्टिगोचर होता है। पूर्ण सूर्य ग्रहण तब तक दृष्टिगोचर नहीं होता जब तक चांद इसके लगभग 50 प्रतिशत भाग को नहीं ढंक लेता और जब यह 99 प्रतिशत भाग को ढंक लेता है तो सूर्यास्त जैसी स्थिति हो जाती है।