अमेरिकी संसद हिंसा पर विश्व नेताओं ने ट्रंप को लगाई फटकार, जानें किसने क्या कहा ?

punjabkesari.in Thursday, Jan 07, 2021 - 04:05 PM (IST)

वाशिंगटनः अमेरिका में कैपिटल बिल्डिंग (संसद भवन) में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के समर्थकों के हंगामे और हिंसा की दुनिया भर के नेताओं ने निंदा की है और इसे अप्रत्याशित, दुखद और खौफनाक बताया है।  US कैपिटल में बुधवार को हजारों ट्रंप समर्थकों ने कैपिटल बिल्डिंग में घुसकर संसद के संयुक्त सत्र को बाधित करने की कोशिश की। संवैधानिक प्रक्रिया के तहत संयुक्त सत्र में नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडेन की जीत की पुष्टि होनी थी। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने ट्वीट किया, ‘‘अमेरिकी संसद परिसर में अशोभनीय दृश्य देखने को मिले। अमेरिका विश्व भर में लोकतंत्र के लिए खड़ा रहता है। यह महत्वपूर्ण है कि सत्ता हस्तांतरण शांतिपूर्ण और तय प्रक्रिया के तहत उचित तरीके से हो।''

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ब्रिटेन के विदेश मंत्री डोमिनिक राब ने ट्वीट किया, ‘‘अमेरिका को अपनी लोकतांत्रिक व्यवस्था पर गर्व होना चाहिए और सत्ता के उचित तरीके से हस्तांतरण में गैरकानूनी रूप से इस तरह की हिंसा को बिल्कुल उचित नहीं ठहराया जा सकता।'' प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाशिंगटन में ट्रंप समर्थकों द्वारा किए गए दंगे और हिंसा की खबर पर चिंता जताई है। मोदी ने ट्वीट किया, ‘‘वाशिंगटन डीसी में हिंसा और दंगे की खबरों से चिंतित हूं। सत्ता का सुव्यवस्थित और शांतिपूर्ण हस्तांतरण जारी रहना चाहिए। लोकतांत्रिक प्रक्रिया को गैरकानूनी प्रदर्शनों के जरिए बदलने की अनुमति नहीं दी जा सकती।''

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फ्रांस के राष्ट्रपति एमैनुएल मैक्रों ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट पर वीडियो पोस्ट कर कहा, ‘‘हम लोकतंत्र पर सवाल उठाने वाले कुछ चंद लोगों को हिंसा की इजाजत नहीं दे सकते हैं। हम लोग लोकतंत्र में विश्वास करते हैं और वाशिंगटन में आज जो कुछ हुआ वह असल अमेरिका नहीं है।'' संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंतोनियो गुतारेस के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने कहा, ‘‘महासचिव वाशिंगटन डीसी के यूएस कैपिटल में हुई घटनाओं से दुखी हैं।'' उन्होंने कहा, ‘‘ऐसी स्थिति में, यह महत्वपूर्ण है कि राजनीतिक नेता अपने समर्थकों को हिंसा से दूर रहने और लोकतांत्रिक प्रक्रिया और कानून के शासन में विश्वास करने के लिए राजी करें।''

 

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने कहा कि उनका देश अमेरिका में कैपिटल परिसर में हुई हिंसा की घटना से ‘‘बहुत क्षुब्ध'' है। कनाडा अमेरिका का करीबी सहयोगी देश रहा है। जर्मनी के विदेश मंत्री हीको मास ने ट्विटर पर लिखा, ‘‘ट्रंप और उनके समर्थकों को अमेरिकी मतदाताओं का फैसला स्वीकार कर लेना चाहिए और लोकतंत्र पर हमला बंद करना चाहिए।''

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नाटो के प्रमुख जेंस स्टोलटेनबर्ग ने ट्वीट किया, ‘‘वाशिंगटन डीसी में स्तब्ध कर देने वाले दृश्य दिखे। लोकतांत्रिक प्रक्रिया से हुए चुनाव का निश्चित रूप से सम्मान होना चाहिए।'' यूरोपीय संघ के विदेश नीति के प्रमुख ने जोसेफ बोरेल ने घटना की निंदा करते हुए ट्वीट किया, ‘‘दुनिया की नजर में अमेरिका में लोकतंत्र आज असहाय प्रतीत हुआ। यह अमेरिका नहीं है। तीन नवंबर को हुए चुनाव के नतीजों का सम्मान होना चाहिए।''

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अमेरिका में चीनी दूतावास ने भी अपने नागरिकों को हालात से सावधान किया है। चीन ने अमेरिका में अपने नागरिकों से सतर्क रहने को कहा है। ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने अमेरिका में हिंसा की घटनाओं को दुखद बताया। उन्होंने कहा, ‘‘वाशिंगटन में हंगामे और प्रदर्शन की घटनाएं व्यथित करने वाली हैं। ये चिंताजनक है।'' न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री जेंसिंडा आर्डन ने एक बयान में कहा कि ‘‘जो हो रहा है, वह गलत है।'' उन्होंने कहा, ‘‘लोकतंत्र में लोगों के पास मतदान करने का, अपनी बात रखने और फिर उस फैसले को शांतिपूर्ण तरीके से मनवाने का अधिकार होता है। इसे भीड़ द्वारा उलटा नहीं जाना चाहिए।''

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चिली के राष्ट्रपति सेबेस्टियन पिनेरा और कोलंबिया के राष्ट्रपति इवान ड्यूक उन लातिन अमेरिकी देशों के नेताओं में शामिल हैं जिन्होंने प्रदर्शनकारियों की निंदा की। दोनों नेताओं ने भरोसा जताया कि अमेरिका में लोकतंत्र और कानून का शासन कायम रहेगा। इटली में भी लोगों ने हिंसा की घटना पर हैरानी जतायी और कहा कि अमेरिका को हमेशा लोकतांत्रिक देश के मॉडल के तौर पर देखा जाता है। इटली के वामपंथी नेता (सेवानिवृत्त) पीरलुजी कास्ताजनेती ने ट्वीट किया, ‘‘यह ‘ट्रंपवाद' का नतीजा है।'' स्वीडन के पूर्व प्रधानमंत्री ने ट्वीट किया, ‘‘यह देशद्रोह है।'' यूरोपीय संसद के अध्यक्ष डेविड ससोली ने भी अमेरिका में हिंसा की घटना की निंदा की है।  


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Tanuja

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