F-35 jet crash: कैसे क्रैश हुआ F-35 जेट? हुआ खुलासा- क्रैश से पहले पायलट ने 50 मिनट तक इंजीनियरों के साथ की वीडियो कॉल
punjabkesari.in Thursday, Aug 28, 2025 - 12:52 PM (IST)

नई दिल्ली: अलास्का के ठंडे आसमान में अमेरिकी वायुसेना का एक F-35 फाइटर जेट एक दिल दहला देने वाली दुर्घटना का शिकार हुआ, लेकिन इस घटना में पायलट की बहादुरी ने सबका दिल जीत लिया। जब जेट में गंभीर तकनीकी खराबी आई, तब भी पायलट ने हिम्मत नहीं हारी और करीब 50 मिनट तक हवा में ही इंजीनियरों के साथ वीडियो कॉल पर समस्या सुलझाने की पूरी कोशिश की। अंततः जब कोई और विकल्प नहीं बचा, तो पायलट ने खुद को सुरक्षित निकालने के लिए पैराशूट का सहारा लिया।
हाइड्रोलिक सिस्टम में जमी बर्फ बनी हादसे की वजह
एक टीवी न्यूज चैनल की रिपोर्ट के मुताबिक, विमान के लैंडिंग गियर में बर्फ जमने से यह हादसा हुआ। मुख्य लैंडिंग गियर में हाइड्रोलिक फ्लूड में पानी था, जो -18°C की सर्दी में जम गया और लैंडिंग गियर ठीक से काम नहीं कर पाए। जब पायलट ने लैंडिंग गियर वापस खींचने की कोशिश की, तो नाक वाला गियर एक तरफ तिरछा फंस गया। इस दौरान विमान ने ऐसा व्यवहार किया जैसे वह जमीन पर हो, जिससे उसे कंट्रोल करना नामुमकिन हो गया।
JUST IN: F-35 fighter jet crashes at Eielson Air Force Base in Alaska. The pilot survived pic.twitter.com/zEuPNY8jqk
— BNO News (@BNONews) January 29, 2025
हवा में इंजीनियरों से कॉल पर की गई मशक्कत
पायलट ने बेस के पास उड़ते हुए लॉकहीड मार्टिन के पांच इंजीनियरों से कॉल पर संपर्क किया और करीब 50 मिनट तक समाधान ढूंढने की कोशिश की। दो बार “टच एंड गो” लैंडिंग कर गियर को सीधा करने की भी कोशिश की गई, लेकिन नाक वाला गियर जाम ही रहा। अंत में विमान पूरी तरह अनकंट्रोल हो गया और पायलट को इमरजेंसी में बाहर कूदना पड़ा।
जांच में सामने आई चौंकाने वाली बातें
पायलट की सूझबूझ की सराहना जरूर हुई, लेकिन जांच में यह भी सामने आया कि क्रू के फैसले, हवा में हुई कॉल और खतरनाक सामग्री के मैनेजमेंट में लापरवाही भी हादसे की वजह बनी। 9 दिन बाद उसी एयरबेस पर एक और विमान में इसी तरह की समस्या सामने आई, लेकिन वह सुरक्षित लैंड कर गया।
महंगा और विवादित प्रोजेक्ट
F-35 प्रोग्राम को लेकर पहले भी कई सवाल उठ चुके हैं-चाहे वह उत्पादन में शॉर्टकट हों या अत्यधिक लागत। हालांकि इसकी कीमत 2021 में जहां करीब $136 मिलियन थी, वहीं 2024 में गिरकर $81 मिलियन हो गई है। ये प्रोग्राम 2088 तक जारी रहने की उम्मीद है और $2 ट्रिलियन डॉलर से ज्यादा खर्च का अनुमान है।