200% से भी अधिक टैरिफ बम फोड़ने वाले हैं ट्रंप, जानिए भारत पर कैसे पड़ेगा असर?

punjabkesari.in Wednesday, Jul 16, 2025 - 04:54 PM (IST)

नेशनल डेस्क: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर वैश्विक व्यापार में हलचल मचाने वाले हैं। इस बार उन्होंने फार्मास्यूटिकल्स और सेमीकंडक्टर सेक्टर पर 200% तक टैरिफ बढ़ाने की योजना बनाई है। ये टैरिफ 1 अगस्त से लागू होने वाले ‘रेसिप्रोकल टैरिफ’ के साथ शुरू हो सकते हैं। ट्रंप ने कहा है कि शुरुआत कम टैरिफ से होगी, लेकिन जल्द ही इसे बहुत ज्यादा बढ़ा दिया जाएगा। इससे अमेरिका सहित भारत जैसे देशों के व्यापार पर बड़ा असर पड़ेगा।

टैरिफ का मकसद और ट्रंप की रणनीति
ट्रंप का तर्क है कि विदेशी आयात अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है। इसीलिए उन्होंने 1962 के ट्रेड एक्सपेंशन एक्ट की धारा 232 के तहत दवाओं और तांबे जैसे सामानों पर टैरिफ लगाने की घोषणा की है। उनका लक्ष्य विदेशी कंपनियों को अमेरिका में उत्पादन वापस लाने के लिए मजबूर करना है। इसके साथ ही ट्रंप कई देशों के साथ नए व्यापार समझौते भी करने की कोशिश कर रहे हैं।

भारत पर नकारात्मक असर

  1. फार्मास्यूटिकल्स निर्यात प्रभावित होगा
    भारत अमेरिका को जेनेरिक दवाओं का सबसे बड़ा निर्यातक है। 2024-25 में भारत ने 9.8 अरब डॉलर की दवाएं अमेरिका को भेजीं, जो भारत के दवा निर्यात का लगभग 40% है। अगर टैरिफ 200% तक बढ़ा तो भारतीय दवाओं की कीमतें महंगी होंगी और निर्यात पर गंभीर असर पड़ेगा।

  2. तांबे का निर्यात घट सकता है
    ट्रंप ने तांबे पर 50% टैरिफ लगाने की बात कही है। भारत का लगभग 17% तांबा अमेरिका जाता है, जिससे भारतीय तांबा निर्यातकों को नुकसान होगा।

  3. सेमीकंडक्टर क्षेत्र में चुनौती
    भारत अभी सेमीकंडक्टर उत्पादन में बड़ा खिलाड़ी नहीं है, लेकिन भविष्य में अगर यह क्षेत्र बढ़ता है तो टैरिफ भारतीय उत्पादकों के लिए बड़ी बाधा बन सकता है।

  4. BRICS देशों पर टैरिफ
    ट्रंप ने BRICS देशों पर 10% टैरिफ लगाने की बात कही है, जिससे भारत के कुछ उत्पादों पर भी अतिरिक्त शुल्क लग सकता है।

भारत के लिए सकारात्मक असर और नए मौके

  1. भारत-अमेरिका व्यापार समझौते की उम्मीद
    ट्रंप ने कहा है कि भारत के साथ एक व्यापार समझौता सबसे ज्यादा संभावित है, जो 1 अगस्त से पहले हो सकता है। इस समझौते से दोनों देशों के बीच पारस्परिक व्यापार को बढ़ावा मिलेगा।

  2. ‘मिनी ट्रेड डील’ से लाभ
    भारत और अमेरिका के बीच ‘मिनी ट्रेड डील’ की संभावना भी है। इसके तहत खनिज, कपड़े, इलेक्ट्रॉनिक्स, प्लास्टिक, फर्नीचर और समुद्री उत्पादों को अमेरिकी बाजार में फायदा मिल सकता है।

  3. टैरिफ में कमी का लाभ
    रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका भारत पर टैरिफ दर को 26% से घटाकर 15-20% कर सकता है। इससे भारत अन्य देशों की तुलना में बेहतर स्थिति में होगा।

  4. निर्यात में तेजी
    हालांकि टैरिफ बढ़ने का खतरा है, फिर भी जून 2025 में भारत का अमेरिका को निर्यात 23.53% बढ़ गया जबकि अमेरिका से आयात 10.61% घटा। यह व्यापार संतुलन के संकेत हैं।

  5. विविधता के विकल्प मौजूद हैं
    एसबीआई रिसर्च का कहना है कि अगर भारत पर 10% अतिरिक्त टैरिफ भी लगता है तो भी भारत के पास अपने निर्यात को विविधता देने के विकल्प मौजूद हैं, जिससे नुकसान कम हो सकता है।

अमेरिकी उपभोक्ताओं पर असर
फार्मास्यूटिकल्स पर टैरिफ बढ़ने से अमेरिकी दवाओं की कीमतें बढ़ सकती हैं, जिससे आम उपभोक्ताओं को नुकसान होगा। सेमीकंडक्टर टैरिफ से एप्पल, सैमसंग जैसे ब्रांड्स के इलेक्ट्रॉनिक्स महंगे हो सकते हैं।

ट्रंप की व्यापक व्यापार रणनीति
ट्रंप ने हाल ही में इंडोनेशिया के साथ भी एक समझौता किया है, जिसमें टैरिफ दर 32% से घटाकर 19% की गई है। इसके तहत इंडोनेशिया ने अमेरिकी ऊर्जा, कृषि उत्पादों और बोइंग जेट खरीदने का वादा किया है। ट्रंप का लक्ष्य कई देशों के साथ व्यापार सौदे करना है, जिनमें भारत सबसे प्रमुख है।


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Content Editor

Ashutosh Chaubey

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