ट्रेड डील से पहले ट्रंप ने बढ़ाई भारत की टेंशन, बोले- BRICS देशों को देना होगा अतिरिक्त 10% टैरिफ
punjabkesari.in Tuesday, Jul 08, 2025 - 11:16 PM (IST)

वॉशिंगटन: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर वैश्विक व्यापार जगत में हलचल मचा दी है। ट्रंप ने कहा है कि ब्रिक्स (BRICS) देशों पर 10% अतिरिक्त टैरिफ (आयात शुल्क) लगाया जाएगा, और यह फैसला जल्द ही लागू हो सकता है। भारत समेत सभी ब्रिक्स सदस्य इस चेतावनी की जद में आ गए हैं।
ब्रिक्स को बताया ‘अमेरिका के खिलाफ बना गठबंधन’
व्हाइट हाउस में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान ट्रंप ने आरोप लगाया कि ब्रिक्स का उद्देश्य अमेरिकी हितों को नुकसान पहुंचाना और डॉलर की ताकत को कमजोर करना है। उन्होंने कहा: “ब्रिक्स की स्थापना अमेरिका को कमजोर करने और हमारे डॉलर को चुनौती देने के लिए की गई थी। लेकिन डॉलर किंग है, और रहेगा। जो भी इसे चुनौती देगा, उसे बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी।”
भारत सहित 11 देशों पर असर
ब्रिक्स (BRICS) का प्रारंभिक गठन ब्राजील, रूस, भारत, चीन और साउथ अफ्रीका के साथ हुआ था। हाल के वर्षों में इसमें सऊदी अरब, मिस्र, ईरान, इथियोपिया, संयुक्त अरब अमीरात और इंडोनेशिया को भी शामिल किया गया, जिससे इस गठबंधन की ताकत और राजनीतिक प्रभाव काफी बढ़ गया है। अब कुल 11 देश ब्रिक्स का हिस्सा हैं।
1 अगस्त से लागू हो सकते हैं टैरिफ
डोनाल्ड ट्रंप ने स्पष्ट किया कि 1 अगस्त 2025 से अमेरिका में इन देशों के आयातित सामानों पर अतिरिक्त शुल्क लग सकता है। उन्होंने कहा: “वर्षों तक ये देश हमसे भारी टैरिफ वसूलते रहे, और हमने बदले में कुछ नहीं किया। अब वक्त बदल गया है। 1 अगस्त से अमेरिका को भारी रेवेन्यू मिलना शुरू हो जाएगा।”
भारत पर क्या असर होगा?
भारत ब्रिक्स का एक सक्रिय सदस्य है और अमेरिका के साथ उसका बड़ा व्यापारिक रिश्ता है। अमेरिका, भारत के सबसे बड़े निर्यात बाजारों में से एक है — खासकर फार्मा, टेक्सटाइल्स, इंजीनियरिंग गुड्स और आईटी सेवाओं के क्षेत्र में।
यदि यह 10% अतिरिक्त टैरिफ लागू होता है, तो इससे भारतीय निर्यातकों पर दबाव बढ़ सकता है और व्यापार घाटा गहरा सकता है।
विश्लेषकों की राय: ट्रंप की रणनीति या चुनावी दबाव?
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि ट्रंप का यह बयान अमेरिका फर्स्ट नीति के तहत चुनावी रणनीति का हिस्सा हो सकता है। 2024 में ट्रंप ने फिर से राष्ट्रपति पद संभाला है, और अब वे वैश्विक मंच पर अमेरिका की ताकत को फिर से स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं।
इस बयान से यह भी संकेत मिलता है कि ट्रंप प्रशासन ब्रिक्स के बढ़ते कद से चिंतित है, खासकर जब यह गुट डॉलर के मुकाबले नए भुगतान सिस्टम या नई करेंसी व्यवस्था की दिशा में काम कर रहा है।