डोनाल्ड ट्रंप ने यूरोपीय संघ और मेक्सिको पर लगाया 30% टैरिफ, 1 अगस्त से लागू होगा ये नियम

punjabkesari.in Saturday, Jul 12, 2025 - 07:00 PM (IST)

इंटरनेशनल डेस्क : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शनिवार को एक बड़ी घोषणा करते हुए कहा कि 1 अगस्त से यूरोपीय संघ (EU) और मेक्सिको से आयातित वस्तुओं पर 30 प्रतिशत टैरिफ लगाया जाएगा। यह घोषणा ट्रंप ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर साझा किए गए पत्रों के माध्यम से की। यह कदम अमेरिका और यूरोपीय संघ के बीच व्यापार तनाव में बड़ी वृद्धि को दर्शाता है, खासकर ऐसे समय में जब दोनों पक्ष एक व्यापक व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने की कोशिश कर रहे हैं। 27 सदस्यीय यूरोपीय संघ को अब अमेरिकी बाजारों में बड़ी बाधाओं का सामना करना पड़ेगा।

पहले भी अन्य देशों पर लगे हैं टैरिफ
यह निर्णय ट्रंप प्रशासन द्वारा इस सप्ताह की शुरुआत में जापान, दक्षिण कोरिया, कनाडा और ब्राज़ील से आयातित वस्तुओं पर भारी टैरिफ लगाने और तांबे पर शुल्क को 50 प्रतिशत तक बढ़ाने के फैसले के बाद आया है। व्हाइट हाउस का कहना है कि इन कदमों का उद्देश्य अमेरिकी उद्योगों की रक्षा करना और घरेलू राजस्व में वृद्धि करना है।

यूरोपीय संघ में मतभेद
यूरोपीय संघ ने अमेरिका के साथ औद्योगिक वस्तुओं पर शून्य-टैरिफ व्यापार समझौते की मांग की थी। हालांकि, महीनों की कठिन और तनावपूर्ण बातचीत के बावजूद कोई ठोस समझौता नहीं हो सका। जर्मनी इस समझौते को जल्द से जल्द अंतिम रूप देने का पक्षधर रहा है ताकि अपने औद्योगिक हितों की रक्षा की जा सके, वहीं फ्रांस सहित कुछ सदस्य देशों ने इसे अमेरिका का एकतरफा प्रस्ताव बताते हुए विरोध किया है। आंतरिक मतभेदों से जूझ रहे इस समूह को अब शायद किसी अंतरिम समझौते पर संतोष करना पड़ सकता है, ताकि भविष्य में अनुकूल शर्तों पर वार्ता का रास्ता खुला रह सके।

ट्रंप नीति से बढ़ा राजस्व
राष्ट्रपति ट्रंप की आक्रामक व्यापार नीति अब अमेरिकी राजस्व पर प्रभाव दिखाने लगी है। अमेरिकी ट्रेजरी विभाग द्वारा शुक्रवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, जून तक वित्तीय वर्ष में संघीय सरकार द्वारा सीमा शुल्क के रूप में वसूला गया राजस्व 100 अरब अमेरिकी डॉलर के पार पहुंच गया है। यह वृद्धि मुख्य रूप से हाल ही में लगाए गए नए टैरिफ के कारण हुई है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यही रुख जारी रहा, तो वैश्विक व्यापार पर इसका गहरा असर पड़ सकता है, खासकर उन देशों पर जो अमेरिकी बाजारों पर भारी निर्भरता रखते हैं।


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Content Editor

Shubham Anand

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