भूख लगे तो सोच समझकर खाइए, एक केला और कीमत 565 रुपये! अब इस एयरपोर्ट पर फल भी हो गए VIP

punjabkesari.in Monday, Apr 21, 2025 - 10:06 AM (IST)

इंटरनेशनल डेस्क। क्या आप सोच सकते हैं कि एक साधारण केला जिसकी कीमत भारत में आमतौर पर 40 से 80 रुपये दर्जन होती है वही केला आपको किसी एयरपोर्ट पर 500 से ज्यादा रुपये में मिल सकता है? ऐसा ही एक मामला सामने आया है तुर्की के इस्तांबुल एयरपोर्ट से जहां एक केले की कीमत करीब 565 रुपये बताई गई है।

इस खबर के सामने आने के बाद यह सवाल उठने लगा है कि आखिर एयरपोर्ट पर खाने-पीने की चीजें इतनी महंगी क्यों होती हैं?

➤ इस्तांबुल एयरपोर्ट पर बेतहाशा महंगे दाम

रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इस्तांबुल एयरपोर्ट पर सिर्फ केले ही नहीं बल्कि अन्य सामान्य खाद्य पदार्थों की कीमतें भी आसमान छू रही हैं। खास बात ये है कि कीमतें तो ऊंची हैं लेकिन गुणवत्ता (क्वालिटी) उस स्तर की नहीं है जैसी होनी चाहिए।

➤ एयरपोर्ट पर क्यों महंगा मिलता है खाना?

1. कोई रेगुलेशन नहीं:

एयरपोर्ट पर सामानों के दाम तय करने के लिए कोई सख्त राष्ट्रीय नियम या नियंत्रण नहीं होता है। ऐसे में आउटलेट्स और दुकानें अपने हिसाब से दाम बढ़ा सकती हैं।

2. हाई ऑपरेशन कॉस्ट:

एयरपोर्ट का संचालन बहुत खर्चीला होता है –

 

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: फ्लाइट संचालन का किराया

: सुरक्षा व्यवस्था का खर्च

स्टाफिंग और मेंटेनेंस की लागत

इन सभी खर्चों की भरपाई के लिए एयरपोर्ट प्रशासन दुकानदारों से ज्यादा किराया वसूलता है जिसका असर सीधे ग्राहकों पर पड़ता है।

3. आउटलेट्स की कॉमर्शियल वैल्यू:

: एयरपोर्ट पर दुकानें और रेस्टोरेंट प्रीमियम लोकेशन में होते हैं।

: यहां पर खाने का सामान अक्सर प्रोफेशनल शेफ द्वारा तैयार किया जाता है।

: क्वालिटी और ब्रांडिंग के नाम पर भी दाम बढ़ाए जाते हैं।

: अगर कोई चीज़ इंपोर्टेड (विदेश से मंगाई गई) है तो उसकी कीमत और बढ़ जाती है।

4. टैक्स और सर्विस चार्ज:

: पैक्ड आइटम्स पर GST (वस्तु एवं सेवा कर)

: रेस्टोरेंट में खाना खाने पर सर्विस चार्ज और सर्विस टैक्स

 

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इन सभी करों और शुल्कों से अंतिम बिल बहुत ज्यादा हो जाता है।

➤ पानी की बोतल से लेकर सैंडविच तक, सब कुछ महंगा

एयरपोर्ट्स पर पानी की बोतल, चाय, कॉफी, सैंडविच, स्नैक्स जैसी रोजमर्रा की चीजें भी बाजार की तुलना में 2-3 गुना महंगी होती हैं। कई बार यात्रियों को मजबूरी में इन चीजों को ऊंचे दाम पर खरीदना पड़ता है, क्योंकि विकल्प सीमित होते हैं।

➤ क्या हो सकती है कोई राहत?

कुछ देशों के एयरपोर्ट्स पर 'फेयर प्राइस शॉप्स' या रेट लिमिटेशन सिस्टम लागू किया गया है ताकि यात्रियों से जरूरत से ज्यादा पैसे ना वसूले जाएं। भारत के कुछ एयरपोर्ट्स पर भी समय-समय पर ऐसी कोशिशें हुई हैं लेकिन व्यापक स्तर पर अब भी यह एक बड़ी समस्या बनी हुई है।

वहीं एयरपोर्ट पर जब आप कोई सामान खरीदते हैं तो आप केवल उस चीज का दाम नहीं बल्कि वहां की सुविधा, माहौल और संचालन लागत भी चुका रहे होते हैं। ऐसे में केला हो या कॉफी – हर चीज का रेट हो जाता है प्रीमियम।


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Content Editor

Rohini Oberoi

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