New Attack Of inflation: महंगाई का नया हमला! इन चीजों की कीमतें छूएंगी आसमान, जेब पर पड़ेगा सीधा असर
punjabkesari.in Thursday, Apr 10, 2025 - 02:32 PM (IST)

इंटरनेशनल डेस्क: अमेरिका और चीन के बीच लंबे समय से चल रही आर्थिक खींचतान एक बार फिर चर्चा में है। इस बार अमेरिका ने बड़ा कदम उठाते हुए चीन से आयात होने वाले उत्पादों पर टैरिफ यानी आयात शुल्क 125 प्रतिशत तक बढ़ा दिया है। इस निर्णय का मकसद घरेलू कंपनियों को बढ़ावा देना और चीन पर बढ़ती निर्भरता को कम करना बताया जा रहा है। लेकिन इस फैसले का असर केवल चीन ही नहीं बल्कि अमेरिका के आम उपभोक्ता और वैश्विक बाजार पर भी पड़ सकता है। चीन से अमेरिका को भारी मात्रा में सस्ते उत्पादों की आपूर्ति होती है। इनमें स्मार्टफोन, कंप्यूटर, वीडियो गेम, लिथियम बैटरी, फर्नीचर, कपड़े, जूते, खिलौने और मेडिकल उपकरण शामिल हैं। टैरिफ बढ़ने से इन उत्पादों की कीमत अमेरिका में काफी बढ़ सकती है। इसका सीधा असर वहां के आम उपभोक्ताओं पर पड़ेगा क्योंकि उन्हें अब वही सामान महंगे दामों में खरीदने पड़ेंगे। इससे अमेरिका में महंगाई का दबाव और तेज हो सकता है।
चीन क्या बेचता है अमेरिका को?
चीन, अमेरिका का एक बड़ा निर्यातक है। अमेरिकी बाजार में रोजमर्रा के इस्तेमाल वाले बहुत सारे सामान चीन से आते हैं। इनमें खास तौर पर इलेक्ट्रॉनिक्स, प्लास्टिक से बने उत्पाद, फर्नीचर, कपड़े, सजावटी सामान और खिलौने शामिल हैं। इसके अलावा चिकित्सा उपकरण और वाहन पुर्जे भी चीन से बड़ी संख्या में अमेरिका में निर्यात किए जाते हैं। इन सभी वस्तुओं पर टैरिफ बढ़ने से अमेरिका में इनकी कीमत बढ़ेगी, जिससे वहां की खपत पर असर पड़ सकता है।
चीन भी खरीदता है अमेरिका से सामान
यह व्यापार एकतरफा नहीं है। चीन भी अमेरिका से कई अहम चीजें खरीदता है, जैसे कृषि उत्पाद, औद्योगिक मशीनें, दवाएं, ऊर्जा स्रोत और रसायन। चीन अमेरिका से स्क्रैप कॉपर, एथिलीन पॉलिमर, एसाइक्लिक हाइड्रोकार्बन जैसे तकनीकी उत्पाद भी मंगाता है। अगर चीन जवाबी कार्रवाई में अमेरिका से आने वाले इन उत्पादों पर टैरिफ बढ़ाता है, तो अमेरिका की टेक्नोलॉजी और एग्रीकल्चर कंपनियों को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।
व्यापार घाटे के आंकड़े भी बढ़ते जा रहे हैं
2024 में अमेरिका और चीन के बीच व्यापार घाटा 295.4 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया, जो 2023 की तुलना में 5.8 प्रतिशत अधिक है। अमेरिका से चीन को होने वाले निर्यात में 2.9 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई, जबकि चीन से आयात में 2.8 प्रतिशत की बढ़त रही। यह दर्शाता है कि दोनों देशों के बीच व्यापारिक असंतुलन लगातार गहराता जा रहा है। ऐसे में टैरिफ युद्ध से स्थिति और बिगड़ सकती है।
वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए खतरे की घंटी
टैरिफ बढ़ने से न केवल अमेरिका और चीन के बीच व्यापार प्रभावित होगा, बल्कि इसका असर पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था पर पड़ सकता है। वैश्विक सप्लाई चेन यानी आपूर्ति श्रृंखला टूट सकती है, निवेशकों का भरोसा डगमगा सकता है और छोटे देशों को आर्थिक झटके लग सकते हैं। दुनिया पहले ही कई आर्थिक चुनौतियों से जूझ रही है, ऐसे में यह नया विवाद वैश्विक स्थिरता को और कमजोर कर सकता है।
कंपनियों और उपभोक्ताओं पर दोहरी मार
टैरिफ युद्ध का असर अमेरिका और चीन दोनों देशों की कंपनियों और उपभोक्ताओं पर पड़ेगा। जहां अमेरिकी उपभोक्ताओं को महंगे उत्पाद झेलने पड़ेंगे, वहीं चीनी निर्यातकों की आमदनी में भी गिरावट आ सकती है। अमेरिकी कंपनियों को अब नए बाजार और वैकल्पिक आपूर्तिकर्ता ढूंढ़ने पड़ सकते हैं, जिससे उनकी लागत और बढ़ सकती है।