चीन की सबसे हाईटेक सिटी में लोग सड़कों पर सोने को मजबूर, 13 घंटे काम करके भी छत नसीब नहीं ! Video ने खोली पोल

punjabkesari.in Monday, Jul 21, 2025 - 06:35 PM (IST)

Bejing: एक तरफ चीन दुनिया को चांद पर जाने की बात करता है, दूसरी तरफ उसके वर्करों को सिर ढकने के लिए छत भी नसीब नहीं है।  चीन की चमकती-दमकती हाईटेक सिटी शेनझेन, जो दुनिया भर में इलेक्ट्रॉनिक्स फैक्ट्रियों और बड़े टेक ब्रांड्स के लिए जानी जाती है, वहां हजारों मज़दूर आज भी अपनी ज़िंदगी सड़कों पर गुजारने को मजबूर हैं। स्थानीय रिपोर्ट्स और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों के मुताबिक, शेनझेन और इसके आसपास के औद्योगिक इलाकों में मजदूरों को दिन में 12 से 13 घंटे तक काम करना पड़ता है, लेकिन उन्हें इसके बदले जो तनख्वाह मिलती है, वह किसी भी बड़े शहर में गुजर-बसर के लिए नाकाफी है।

 

चीन के वर्कर राइट्स ग्रुप China Labour Bulletin के मुताबिक, शेनझेन में इलेक्ट्रॉनिक्स, टेक्सटाइल और अन्य मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स में औसतन मज़दूरों को 1,000 से 1,500 युआन (लगभग 100 से 200 अमेरिकी डॉलर) महीना मिलता है। इतनी कम आमदनी में किराया, खाना और दूसरी जरूरतें पूरी कर पाना नामुमकिन है। कई मजदूरों के पास ना तो कंपनी की तरफ से हॉस्टल होता है और ना ही वो शेनझेन जैसे महंगे शहर में कोई कमरा किराए पर ले सकते हैं। मजबूरन उन्हें फुटपाथ, बस स्टेशन या रेलवे प्लेटफॉर्म जैसे सार्वजनिक जगहों पर रात गुजारनी पड़ती है।
 
श्रमिक यूनियनों के मुताबिक, कई फैक्ट्रियां ओवरटाइम के लिए अलग से कोई पैसे नहीं देतीं। मैन्युफैक्चरिंग हब में चीन की '996 कल्चर' यानी सुबह 9 से रात 9 बजे तक, हफ्ते में 6 दिन काम करने का कल्चर काफ़ी कुख्यात है। हालांकि 2021 में चीन की सुप्रीम कोर्ट ने इसे गैरकानूनी करार दिया था, लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स बताती हैं कि प्रैक्टिकली ये आज भी कई जगह लागू है।शेनझेन चीन का सिलिकॉन वैली कहा जाता है। यहाँ बड़े-बड़े टेक ब्रांड्स जैसे Huawei, Tencent, DJI जैसे दिग्गज कंपनियों के हेडक्वार्टर हैं। जैसे-जैसे शहर हाईटेक बना, वैसे-वैसे हाउसिंग कीमतें आसमान छू गईं। चीन के सरकारी आंकड़ों के अनुसार, शेनझेन में औसत घर का किराया 3,000 युआन (करीब 400 डॉलर) महीना है  जबकि मज़दूरों को 1,000 युआन भी पूरे नहीं मिलते।
 

इंटरनेशनल रिपोर्ट्स के अनुसार, कुछ जगहों पर मजदूरों ने अस्थायी झुग्गियां या टीन शेड्स बना रखे हैं। कई छोटे होटल या डॉरमेट्री भी मजदूरों से मनमानी रकम वसूलते हैं, लेकिन इसमें भी सबको जगह नहीं मिलती।शेनझेन लोकल गवर्नमेंट ने मजदूरों के लिए कुछ हॉस्टल स्कीम्स शुरू की थीं, लेकिन लोकल मीडिया ( Sixth Tone,  SCMP) के मुताबिक ये स्कीम्स बेहद सीमित और शहर की मांग के मुकाबले नाकाफी हैं। चीन में सरकारी मीडिया या सख्त सेंसरशिप के कारण इस मुद्दे पर खुलकर रिपोर्टिंग करना भी मुश्किल होता है। फिर भी  Human Rights Watch , Amnesty International जैसी संस्थाओं की रिपोर्ट्स चीन के मजदूरों के हालात को बार-बार उजागर करती रही हैं।दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में मजदूर आज भी बुनियादी जरूरतों के लिए जूझ रहे हैं। 
 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Tanuja

Related News