सऊदी अरब ने इजरायल-फिलीस्तीन जंग पर "टू स्टेट सॉल्यूशन" की दी  सलाह

punjabkesari.in Monday, May 27, 2024 - 05:38 PM (IST)

इंटरनेशनल डेस्कः इजरायल-फिलीस्तीन जंग पर अब सऊदी अरब ने  सलाह दी है। इजरायल और हमास युद्ध के बीच बीते बुधवार को नॉर्वे, स्पेन और आयरलैंड द्वारा फिलीस्तीन को राष्ट्र के रूप में मान्यता देने का ऐलान  के बाद सऊदी अरब का ये बयान काफी अहम माना जा रहा है। इन देशों का कहना है कि वे 28 मई से फिलीस्तीन को औपचारिक तौर पर एक राष्ट्र के तौर पर मान्यता  दे देंगे।  पिछले साल अक्तूबर से फिलीस्तीन और इजरायल के बीच जंग चल रही है।  इजरायल  हमास को निशाना बनाकर  गाजा और राफा पर ताबड़तोड़ हमले कर  रहा है। इजरायल और फिलीस्तीन के इस विवाद पर अब सऊदी अरब का बयान आया है। 

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सऊदी अरब के विदेश मंत्री ने ब्रसेल्स में कहा कि इजरायल और फिलीस्तीन संघर्ष के लिए दू स्टेट सॉल्यूशन जरूरी है और इस पर बात होती रहनी चाहिए।सऊदी के विदेश मंत्री प्रिंस फैसल बिन फरहान बिन अब्दुल्ला ने कहा कि ये टू स्टेट सॉल्यूशन इजरायल सहित सभी पक्षों के हित में है। उन्होंने गाजा में तत्काल सीजफायर का आह्वान करते हुए बंधकों की रिहाई की मांग भी की। इस बीच यूरोपीय यूनियन के शीर्ष राजनयिक जोसेफ बॉरेल ने कहा कि टू स्टेट सॉल्यूशन किसी भी तरह से इजरायल के लिए न तो पीड़ादायक समाधान होगा न ही ये उसकी सुरक्षा के लिए खतरा होगा। ये सॉल्यूशन सुरक्षा और समृद्धि के लिए लंबी अवधि की गारंटी है।

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बता दें कि सऊदी अरब और नॉर्वे ने फिलिस्तीन को राष्ट्र के तौर पर मान्यता देने की कवायद के बीच रविवार को ब्रसेल्स में एक मंत्रिस्तरीय बैठक की मेजबानी की थी।इस बैठक में फिलीस्तीन को राष्ट्र के तौर पर मान्यता देने का ऐलान करने वाले स्पेन, आयरलैंड और नॉर्वे का समर्थन करने वाले देश शामिल हुए। दशकों से चले आ रहे इजराइल-फिलिस्तीन संघर्ष के बीच टू-स्टेट सॉल्यूशन थ्योरी चर्चा में है। इस प्लान के तहत फिलीस्तीन को अलग स्टेट का दर्जा देने की बात कहीगई है जबकि इजरायल अलग रहेगा। इससे दो अलग-अलग कल्चर और धर्म को मानने वाले लोग शांति से अलग रह सकेंगे। 

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समस्या ये है कि इजरायल और फिलीस्तीन के बीच कोई सीमा रेखा तय नहीं है। इजरायल तो अलग देश है, लेकिन फिलीस्तीन अलग मुल्क नहीं। ये दो हिस्सों में बंटा हुआ है। एक हिस्से पर इस्लामी चरमपंथी संगठन हमास का कब्जा है, जिसे इजरायल समेत कई देश आतंकी संगठन मानते हैं दूसरा हिस्सा वेस्ट बैंक हैं, जिसपर सरकार तो अलग है, लेकिन इजरायल का सिक्का चलता है। साल 1991 में अमेरिका की मध्यस्थता के बाद मैड्रिड शांति सम्मेलन में टू-स्टेट सॉल्यूशन की बात उठी।वैसे इससे पहले भी यूएन ये कह चुका था, लेकिन अमेरिकी दखल के बाद इस पर चर्चा बढ़ी। माना जा रहा है कि अलग-अलग होकर रहना ही अकेला हल है, जो इजरायल और फिलिस्तीन के बीच शांति ला सकेगा।


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Content Writer

Tanuja

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