आंतकवाद के खिलाफ कार्रवाई में नाकाम पाक, FATF की ग्रे लिस्ट में बना रहेगा नाम
punjabkesari.in Saturday, Feb 01, 2020 - 12:21 PM (IST)
पेशावरः आतंकवाद के खिलाफ उचित कार्रवाई न करने व इसके वित्त पोषण को रोकने में असफल रहे पाकिस्तान को इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। इसी वजह से पाकिस्तान के वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (FATF) की ग्रे सूची में ही रहने की उम्मीद है। अतंरराष्ट्रीय वाचडॉग की आगामी बैठक में यह फैसला लिया जा सकता है। यह जानकारी यूरोपीय देशों के दो राजनयिकों ने दी है। FATF की पेरिस में 16 से 21 फरवरी को कामकाजी समूह की बैठक होनी है। वह पाकिस्तान के 27 बिंदु वाले एक्शन प्लान के कार्यान्वयन का आकलन करेंगे।
पाकिस्तान को जून 2018 में ग्रे सूची में रखा गया था क्योंकि वह लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद, तालिबान और अल-कायदा जैसे आतंकी संगठनों को फंड जुटाने से रोकने में नाकाम रहा था। यूरोपीय देश के एक राजनयिक ने कहा, 'उपलब्ध जानकारी से पता चलता है कि पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय दायित्वों के अनुरूप अपने आतंकी वित्तपोषण और मनी लॉन्ड्रिंग कानूनों को लाने और अपने कानूनी ढांचे में सुधार करने के लिए कुछ कदम उठाए हैं। लेकिन उसने संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित आतंकियों पर आतंकी वित्तपोषण में संलिप्तता के लिए उनपर मुकदमा चलाने या दोषी ठहराने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाए हैं।
माना जा रहा है कि वह ग्रे सूची में ही बना रहेगा।' यूरोपीय देश के दूसरे राजनयिक जो आतंक के वित्तपोषण को समाप्त करने के पाकिस्तान के प्रयासों पर बारीकी से नजर रखे हुए हैं, उन्होंने कहा कि देश के एफएटीएफ की अक्तूबर में होने वाली अगली पूर्ण बैठक तक ग्रे सूची में रहने की उम्मीद है क्योंकि उसने कार्य योजना को लागू करने के लिए पर्याप्त काम नहीं किया है। वहीं भारतीय अधिकारियों ने इसपर कोई टिप्पणी नहीं की है।
क्या है FATF?
फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) एक अंतर-सरकारी निकाय है जिसे फ्रांस की राजधानी पेरिस में जी7 समूह के देशों द्वारा 1989 में स्थापित किया गया था। इसका काम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर धन शोधन (मनी लॉन्ड्रिंग), सामूहिक विनाश के हथियारों के प्रसार और आतंकवाद के वित्तपोषण पर निगाह रखना है। इसके अलावा एफएटीएफ वित्त विषय पर कानूनी, विनियामक और परिचालन उपायों के प्रभावी कार्यान्वयन को बढ़ावा भी देता है। FATF का निर्णय लेने वाला निकाय को FATF प्लेनरी कहा जाता है। इसकी बैठक एक साल में तीन बार आयोजित की जाती है।