चीन में शवों को लेकर नया फरमान जारी, रो रहे हैं लोग

punjabkesari.in Thursday, Aug 02, 2018 - 06:10 PM (IST)

बीजिंगः चीन में शवों को लेकर नया फैसला लागू किया गया है। ।  जियांग्शी प्रांत में एक सितंबर से शवों को दफनाने की बजाय जलाया जाएगा। यह फैसला जगह की कमी की वजह से लिया गया है। नया कानून आने से पहले ही चीनी अधिकारियों ने घरों में रखे पूर्वजों के ताबूत तोड़ना शुरू कर दिया है। ऐसा होने पर कई गांव वाले रोने लगे। इसके बाद सरकार ने अफसरों को ज्यादा सख्ती न दिखाने का आदेश दिया। चीन के कई ग्रामीण इलाकों में पूर्वजों के ताबूत सालों तक घर में रखने की परंपरा है। उनका मानना है कि इससे भाग्य अच्छा होता है। अफसरों द्वारा ताबूत तोड़े जाने की देशभर में आलोचना हो रही है। 

कई सालों से अधिकारी लोगों को समझा रहे थे कि वे शवों को न दफनाएं। चीन के राष्ट्रपिता माओत्से तुंग ने पारंपरिक अंतिम संस्कार को सामंती अंधविश्वास करार दिया था। 1956 में उन्होंने शवों को जलाने का प्रस्ताव रखा था लेकिन इसके लिए कोई नीति नहीं बन पाई। माओ का शव भी दफनाया गया। अब कब्रिस्तान में जगह की कमी के चलते स्थानीय सरकारें शवों को जलाने, समुद्र में डालने की बात कर रही हैं। शवों को जलाने का फैसला पहले भी कुछ प्रांतीय सरकारों ने लिया था, लेकिन इसके नतीजे अच्छे नहीं रहे। 2014 में आन्हुई प्रांत में शवदाह की तारीख भी तय हुई, लेकिन इससे पहले ही छह बुजुर्गों ने खुदकुशी कर ली। 

 चीन के अखबार पीपुल्स डेली ने शवों के जलाने को फैसले को सख्त बताया। अखबार ने लिखा कि 1950 के दशक में भी इन्हीं नियमों में बदलाव किया गया था जिसके चलते देश में भयंकर सूखा पड़ा था। शियामेन यूनिवर्सिटी में इतिहास के प्रोफेसर जोउ झेनडोंग कहते हैं, "चीन की संस्कृति में पूर्वजों की पूजा करने की परंपरा है ताकि उनका परिवार पर आशीर्वाद बना रहे।''  विरोध के बावजूद जियांग्शी सरकार नए नियम को लागू करने पर अडिग है। लोगों से कहा गया है कि वे घर में रखे ताबूत सरकार को दे दें और इसके बदले में 2000 युआन (करीब 20 हजार रुपए) प्राप्त करें। जुलाई में जियांग्शी के 24 गांवों ने 5800 ताबूत प्रशासन को सौंपे।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Tanuja

Recommended News

Related News