अगर न्यूक्लियर वॉर हुई तो 72 मिनट में खत्म हो जाएगी इतनी अरब आबादी, सिर्फ ये दो देश ही बचेंगे!

punjabkesari.in Thursday, Apr 24, 2025 - 08:05 AM (IST)

इंटरनेशनल डेस्क: अगर दुनिया में तीसरे विश्व युद्ध की शुरुआत हो गई और वह परमाणु हथियारों से लड़ा गया तो सिर्फ 72 मिनट में लगभग 5 अरब लोगों की मौत हो सकती है। यह कोई फिल्मी कहानी नहीं बल्कि एक सच्ची, वैज्ञानिक और रिसर्च पर आधारित चेतावनी है। इस भयावह आशंका की जानकारी अमेरिकी खोजी पत्रकार और न्यूक्लियर वॉर एक्सपर्ट एनी जैकबसन ने दी है, जिन्होंने 'डायरी ऑफ ए सीईओ' पॉडकास्ट में बताया कि न्यूक्लियर युद्ध के नतीजे सिर्फ बम गिरने तक सीमित नहीं रहेंगे, बल्कि पूरी दुनिया को विनाश के कगार पर पहुंचा देंगे।

एक बार न्यूक्लियर वॉर शुरू हुई तो क्या होगा?

जैसा कि एनी जैकबसन ने बताया, यदि न्यूक्लियर हथियारों का इस्तेमाल हुआ, तो उसके बाद हालात इतने खराब हो जाएंगे कि इंसान का जिंदा रहना भी चुनौती बन जाएगा। सिर्फ विस्फोट ही नहीं, बल्कि इसका असर पूरी पृथ्वी के वातावरण, फसलों, सूरज की रोशनी और ओजोन लेयर तक पड़ेगा। उनका कहना है, "दुनिया बर्फ की चादर से ढक जाएगी, तापमान इतनी तेजी से गिरेगा कि अधिकांश जीवन खतरे में पड़ जाएगा। फसलें नहीं उगेंगी, ओजोन लेयर बर्बाद हो जाएगी और सूरज की किरणें ज़हर जैसी बन जाएंगी।"

बर्फ में बदल जाएगी पृथ्वी

एनी जैकबसन और वायुमंडलीय विज्ञान के प्रोफेसर ब्रायन टून के अनुसार, परमाणु युद्ध के बाद "न्यूक्लियर विंटर" की स्थिति बनेगी यानी धरती पर अचानक भयंकर ठंड आ जाएगी। यह ठंड इतनी विकराल होगी कि अधिकांश हिस्सों में खेती करना असंभव हो जाएगा।

खास बात यह है कि यह ठंड सिर्फ कुछ दिनों या महीनों तक नहीं बल्कि सालों तक चल सकती है, जिससे लोग भूख से मरने लगेंगे।

रेडिएशन, अंधेरा और भूख से तबाही

  • ओजोन लेयर की बर्बादी के कारण सूरज की किरणें खतरनाक होंगी

  • लोग बंकरों या अंडरग्राउंड ठिकानों में रहने पर मजबूर होंगे

  • रेडिएशन के कारण बीमारियां फैलेंगी

  • खाद्यान्न संकट पैदा होगा

  • लोग एक-एक रोटी के लिए लड़ेंगे

सिर्फ ये दो देश होंगे सुरक्षित

एनी जैकबसन और प्रो. ब्रायन टून की राय में, पूरी दुनिया में सिर्फ दो देश ऐसे होंगे जो इस तबाही से कुछ हद तक सुरक्षित रहेंगे और वे हैं —
ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड, इन दोनों देशों की भौगोलिक स्थिति, समुद्रों से घिरे होने और स्थिर जलवायु के कारण वहां इतनी अधिक ठंड नहीं पहुंचेगी और उनकी फसल प्रणाली किसी हद तक बनी रह सकेगी।

एनी जैकबसन कौन हैं?

  • 2016 में पुलित्जर फाइनलिस्ट रह चुकी हैं

  • DARPA (पेंटागन की रिसर्च एजेंसी) पर रिसर्च की

  • न्यूक्लियर वॉर और मिलिट्री रिस्क्स पर उनकी गहरी समझ है

  • उन्होंने 1959-60 के दौर की मिलिट्री रिपोर्ट्स और वैज्ञानिक चेतावनियों को नए नजरिए से जोड़ा है

 


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Content Editor

Ashutosh Chaubey

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