भारत, पाकिस्तान ने एससीओ सम्मेलन में एक-दूसरे पर परोक्ष रूप से साधा निशाना
punjabkesari.in Friday, May 05, 2023 - 08:03 PM (IST)

नेशनल डेस्क: भारत और पाकिस्तान ने शुक्रवार को शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में एक-दूसरे पर परोक्ष रूप से निशाना साधा। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की और उनके पाकिस्तानी समकक्ष बिलावल भुट्टो-जरदारी ने ‘‘कूटनीतिक फायदे के लिए आतंकवाद को हथियार'' के तौर पर इस्तेमाल नहीं करने का आह्वान किया। गोवा में भारत द्वारा आयोजित एससीओ के सम्मेलन में विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि सीमा पार आतंकवाद सहित सभी तरह के आतंकवाद को रोका जाना चाहिए। वहीं, बिलावल ने ‘‘अंतरराष्ट्रीय कानून के उल्लंघन'' का मुद्दा उठाया, जिसे कश्मीर के परोक्ष संदर्भ के रूप में देखा गया।
एससीओ मानदंड द्विपक्षीय मुद्दों को उठाने की अनुमति नहीं देते हैं और दोनों विदेश मंत्रियों ने किसी भी देश का नाम नहीं लिया तथा परोक्ष रूप से टिप्पणियां कीं। सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहे जयशंकर ने परोक्ष रूप से पाकिस्तान की ओर इशारा करते हुए कहा कि आतंकवाद की अनदेखी करना समूह के सुरक्षा हितों के लिए हानिकारक होगा और जब दुनिया कोविड-19 महामारी तथा उसके प्रभावों से निपटने में लगी थी, तब भी आतंकवाद की समस्या ज्यों की त्यों बनी रही।
जयशंकर ने बिलावल, चीन, रूस, किर्गिस्तान, कजाकिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान के अपने समकक्षों की मौजूदगी में कहा, ‘‘हमें किसी भी व्यक्ति या देश को सरकार से इतर तत्वों के पीछे छिपने की अनुमति नहीं देनी चाहिए।'' उन्होंने कहा, ‘‘आतंकवाद की अनदेखी करना समूह के सुरक्षा हितों के लिए नुकसानदेह होगा। हमारा दृढ़ विश्वास है कि आतंकवाद को कतई उचित नहीं ठहराया जा सकता। सीमा पार आतंकवाद समेत इसके सभी स्वरूपों का खात्मा किया जाना चाहिए।''
अपने संबोधन में पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘हमें एससीओ के भीतर सार्वभौमिक रूप से मान्यता प्राप्त सिद्धांतों के लिए सम्मान सुनिश्चित करना चाहिए। अंतरराष्ट्रीय कानून और सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों का उल्लंघन करते हुए राष्ट्रों का एकतरफा और अवैध कदम उठाना एससीओ के उद्देश्यों के विपरीत है।'' बिलावल ने कहा, ‘‘हमें अपनी प्रतिबद्धताओं को बनाए रखने और अपने लोगों के लिए एक नया भविष्य तैयार करने की दिशा में स्पष्ट होना चाहिए, जो संघर्ष को कायम रखने में नहीं, बल्कि संघर्ष के समाधान पर आधारित हो।''