भारत के एयरस्पेस बंद करने के बाद, पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस कंंगाल के कगार पर, जानिए पूरी कहानी
punjabkesari.in Friday, May 02, 2025 - 02:00 PM (IST)

नेशनल डेस्क: पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस (PIA) पहले से ही आर्थिक संकट और प्रबंधन की खामियों से जूझ रही है। अब भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव ने इसकी मुश्किलें और बढ़ा दी हैं। भारत द्वारा अपने एयरस्पेस को बंद किए जाने से पीआईए की उड़ान संचालन पर सीधा असर पड़ा है। इस स्थिति से एयरलाइन की आर्थिक सेहत और संचालन क्षमता दोनों को गहरी चोट लग रही है।
एयरस्पेस विवाद की पृष्ठभूमि
हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ सख्त क़दम उठाए। जवाब में पाकिस्तान ने भारतीय विमानों के लिए अपना एयरस्पेस बंद कर दिया। इसके बाद भारत ने भी पाकिस्तान की उड़ानों के लिए अपने हवाई क्षेत्र को बंद कर दिया। हालांकि यह निर्णय रणनीतिक और राजनीतिक रूप से लिया गया लेकिन इसका सीधा असर पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस पर पड़ा है।
एयरस्पेस बंद होने से क्यों बढ़ीं पीआईए की परेशानियां
जब कोई विमान किसी देश के ऊपर से उड़ता है तो उसे उस देश को एक शुल्क देना पड़ता है जिसे ओवरफ्लाइट फीस कहते हैं। भारत का एयरस्पेस बंद होने से पाकिस्तान को भारत से मिलने वाली यह फीस बंद हो गई है। साथ ही पीआईए को अब लंबा रास्ता तय करना पड़ रहा है जिससे ऑपरेशनल खर्च बढ़ रहे हैं। पाकिस्तानी एविएशन एक्सपर्ट मोहम्मद अफ़सर मलिक कहते हैं कि "भारत की पाबंदी के बाद पाकिस्तान की उड़ानों को चीन या अन्य वैकल्पिक रास्तों से जाना पड़ेगा। इससे ट्रैवल टाइम भी बढ़ेगा और कई रूट घाटे का सौदा बन जाएंगे।"
पहले भी भुगत चुका है घाटा
यह पहला मौका नहीं है जब एयरस्पेस पाबंदियों ने पाकिस्तान को नुकसान पहुंचाया हो। 2019 में बालाकोट हमले के बाद भी पाकिस्तान ने भारतीय एयरलाइनों के लिए अपना एयरस्पेस बंद किया था। रिटायर्ड ग्रुप कैप्टन डॉ. दिनेश कुमार पांडे के अनुसार, "उस समय पाकिस्तान को लगभग 45 से 50 करोड़ डॉलर का घाटा हुआ था।" इस बार भी वही स्थिति बन रही है — न सिर्फ भारतीय एयरलाइनों की उड़ानें बंद हुई हैं बल्कि पीआईए को भी अपने रूट्स में बदलाव करना पड़ा है।
ऑपरेशन पर पड़ा सीधा असर
एयरस्पेस बंद होने से न सिर्फ उड़ानों का समय बढ़ा है बल्कि उनकी लागत में भी इज़ाफा हुआ है। इस्लामाबाद से बैंकॉक या कुआलालंपुर जैसे रूट अब घाटे में चलने लगे हैं। सप्ताह में पीआईए केवल 6 से 8 ऐसी अंतरराष्ट्रीय उड़ानें संचालित करती है। रूट लंबा होने से विमान को ज्यादा ईंधन की जरूरत पड़ती है, जिससे खर्च बढ़ता है। साथ ही समय ज्यादा लगने के कारण यात्रियों की संख्या भी प्रभावित होती है।
पुराना संकट और गहराया
PIA पहले से ही सरकार की मदद पर निर्भर थी।
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इसके विमान पुराने हो चुके हैं
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तकनीकी सामान की कमी है
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स्टाफ की संख्या जरूरत से ज्यादा है
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कंपनी पर कर्ज लगातार बढ़ता जा रहा है
2023 में पीआईए का एक बोइंग 777 मलेशिया में ज़ब्त कर लिया गया था क्योंकि उसने भुगतान नहीं किया था। उसी समय पाकिस्तान स्टेट ऑयल ने ईंधन की सप्लाई रोक दी थी जिससे कई उड़ानें रद्द करनी पड़ी थीं।
ऑपरेशनल एयरक्राफ्ट की हालत खराब
दिसंबर 2024 में खबर आई कि PIA के 34 में से कई विमान उड़ने की स्थिति में नहीं हैं क्योंकि उनके पास जरूरी पुर्जे और तकनीकी सामग्री नहीं है। एटीआर विमान बेड़े में से केवल 2 ही ऑपरेशन में थे जबकि कुल संख्या 5 थी। इससे यह साफ होता है कि एयरलाइन की तकनीकी और प्रबंधन की हालत बेहद खराब है।
सरकारी मॉडल की कमजोरी
मोहम्मद अफ़सर मलिक कहते हैं, "सरकारी एयरलाइनों में आमतौर पर दक्षता की कमी होती है। उनमें जवाबदेही नहीं होती और कर्मचारियों की संख्या जरूरत से ज्यादा होती है।" वहीं, प्राइवेट एयरलाइनों में प्रदर्शन, सेवा और लागत की सख्त निगरानी होती है जो उन्हें प्रतिस्पर्धी बनाती है।