पाकिस्तान की पोल खुलते ही इस मुस्लिम देश ने दिया भारत का साथ, अब्बास अरागची का दौरा मचाएगा हलचल!
punjabkesari.in Friday, May 02, 2025 - 08:07 PM (IST)

इंटरनेशनल डेस्क: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले के बाद भारत अंतरराष्ट्रीय मंच पर पाकिस्तान की पोल खोलने में जुट गया है। 26 नागरिकों की जान लेने वाले इस हमले की गूंज अब दुनिया भर में सुनाई दे रही है। पाकिस्तान की भूमिका को लेकर जहां भारत आक्रामक रुख अपना रहा है वहीं कई देश भारत का खुलकर समर्थन भी कर रहे हैं। इसी बीच एक बड़ा कूटनीतिक घटनाक्रम सामने आया है। मुस्लिम देश ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अरागची अगले हफ्ते भारत आने वाले हैं।
भारत-ईरान रिश्तों में नई गति, दौरे पर आ सकते हैं अरागची
सूत्रों के मुताबिक ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अरागची 8 मई को भारत पहुंच सकते हैं। इस दौरान उनकी मुलाकात भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर से हो सकती है। इस दौरे में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय रिश्तों, आतंकवाद के खिलाफ साझा रणनीति और पहलगाम हमले पर प्रतिक्रिया जैसे अहम मुद्दों पर बातचीत होने की संभावना है। हालांकि इस दौरे को लेकर आधिकारिक घोषणा अभी नहीं हुई है लेकिन कूटनीतिक गलियारों में इसकी चर्चा जोर पकड़ चुकी है।
पहलगाम पर ईरान की सख्त प्रतिक्रिया
पहलगाम हमले के बाद ईरानी राष्ट्रपति ने इस घटना को 'अमानवीय और निंदनीय' करार दिया था। ईरान की ओर से लगातार आतंकवाद के खिलाफ सख्त स्टैंड देखने को मिला है। यही वजह है कि अरागची का यह भारत दौरा आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता का प्रतीक माना जा रहा है। इसके जरिए ईरान साफ संदेश देना चाहता है कि वह भारत के साथ खड़ा है।
अरागची ने सिर्फ भारत ही नहीं पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री मुहम्मद इसहाक डार से भी बातचीत की थी। उन्होंने कहा था कि ईरान भारत और पाकिस्तान को 'भाईचारा वाला पड़ोसी' मानता है और दोनों के बीच शांति की पहल में मदद करने को तैयार है। उन्होंने यह भी कहा कि ईरान अपने अच्छे रिश्तों का इस्तेमाल कर भारत-पाक के बीच तनाव कम करने की कोशिश करेगा। अरागची ने पहलगाम हमले के बाद ट्वीट कर भारत और पाकिस्तान को ‘शांतिपूर्ण पड़ोसी’ बताते हुए मध्यस्थता की पेशकश भी की थी। उन्होंने कहा कि यदि दोनों देश चाहें तो ईरान उन्हें करीब लाने और विश्वास बहाली में मदद कर सकता है। हालांकि भारत ने हमेशा से द्विपक्षीय मुद्दों में किसी तीसरे पक्ष की भूमिका को खारिज किया है, लेकिन ईरान की यह पहल अपने आप में अहम मानी जा रही है।
भारत और ईरान के व्यापारिक रिश्ते मजबूत
यह दौरा इसलिए भी खास है क्योंकि भारत और ईरान के व्यापारिक संबंध भी बेहद मजबूत हैं। भारत, ईरान के शीर्ष पांच व्यापारिक साझेदारों में शामिल है। ईरान से भारत तेल, गैस और अन्य उत्पाद का बड़ा आयातक रहा है। इसके अलावा चाबहार पोर्ट परियोजना में भारत की अहम भूमिका है। ऐसे में यह मुलाकात व्यापारिक मोर्चे पर भी नई दिशा तय कर सकती है।
अमेरिका से तनाव और भारत से नजदीकी का संकेत
अरागची का भारत दौरा एक और वजह से चर्चा में है – अमेरिका-ईरान तनाव। रिपोर्ट्स के अनुसार, ईरान और अमेरिका के बीच चौथे दौर की बातचीत जल्द ही रोम में होने वाली है। उससे एक दिन पहले ईरान की फ्रांस, जर्मनी और ब्रिटेन (E3 देशों) से भी वार्ता तय है। इन सबके बीच भारत दौरा यह संकेत देता है कि ईरान दक्षिण एशिया में अपनी कूटनीतिक सक्रियता बढ़ा रहा है और भारत को अपना अहम साझेदार मानता है।
भारत को वैश्विक समर्थन मिलने के संकेत
पहलगाम हमले के बाद जिस तरह से अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी और अब ईरान भारत के साथ खड़े नजर आ रहे हैं, यह साफ करता है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय पाकिस्तान के दोगलेपन से वाकिफ हो चुका है। भारत की रणनीति अब सिर्फ सीमा पर जवाब देने की नहीं बल्कि कूटनीति के जरिए पाकिस्तान को अलग-थलग करने की है।