दुनिया की 90 बंदरगाहों पर चीन का कब्जा ! सोलोमन को लेकर बढ़ी AUS-USA की टेंशन, मॉरिसन बोले- पता हैं चीन के इरादे

punjabkesari.in Tuesday, May 10, 2022 - 01:26 PM (IST)

इंटरनेशनल डेस्क: चीन एशिया सहित दुनिया के अन्य हिस्सों में तेजी से अपनी सैन्य ताकत बढ़ा रहा है।  हाल ही में  प्रशांत महासागर में एक छोटे से द्वीप राष्ट्र सोलोमन में एक चीनी सैन्य अड्डे की स्थापना की खबरों ने संयुक्त राज्य अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड की टेंशन बढ़ा दी है। सोलोमन द्वीप से एक ग्वाडेलोप नहर ऑस्ट्रेलिया के रास्ते प्रशांत महासागर से न्यूजीलैंड तक जाती है  इसीलिए अमेरिका और ब्रिटेन ने ऑस्ट्रेलिया को परमाणु पनडुब्बी देने की घोषणा की है।   इस बीच ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने सोमवार को कहा कि वह दक्षिण-पश्चिम प्रशांत क्षेत्र में चीन की महत्वाकांक्षाओं से अवगत हैं और चीन के खतरनाक इरादों से भी वाकिफ हैं।

 

दरअसल चीन अपने विश्वव्यापी हितों की आड़ में एशिया और अमेरिकी सैन्य प्रभुत्व को चुनौती देना चाहता है। दुनिया पर राज करने की मंशा के चलते चीन ने  दुनिया की 90 से अधिक बंदरगाहों पर का कब्जा रखा है। चीन का कहना है कि  इनका उपयोग वह जहाजों के ठहरने और कारोबार के लिए करता है, लेकिन चीन कभी भी इनका उपयोग सैन्य बेस के रूप में कर सकता है। सोलोमन-चीन समझौते के बाद ऑस्ट्रेलिया को अंदेशा है कि  चीन ने सोलोमन द्वीप पर सैन्य अड्डा बनाने की योजना बनाई है। सोलोमन द्वीप की आबादी 6.87 मिलियन है।

 

अफ्रीका के जिबूती में चीन का एक घोषित सैन्य अड्डा है। इसे 2017 में एक नौसैनिक सुविधा के लिए बनाया गया था। चीन का दावा है कि वह सोलोमन द्वीप में शांति और स्थिरता और व्यापार को बढ़ावा देने के लिए ऐसा कर रहा है। लेकिन इस संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है कि चीन अपने वैश्विक हितों के नाम पर एशिया में अमेरिकी सैन्य प्रभुत्व को चुनौती देना चाहता है।


अर्जेंटीना से श्रीलंका तक चीन के ये हैं अहम सैन्य अड्डे

  •  पैटागोनिया, अर्जेंटीना में सैन्य अड्डा
  •  अफ्रीका में जिबूती बेस
  • म्यांमार में ग्रेट कोको द्वीप पर नौसेना का अड्डा
  • गोर्ने बदख्शां, ताजिकिस्तान में नौसेना बेस
  •  मालदीव, म्यांमार और क्यावपू बंदरगाहों पर कब्जा
  • अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के पास कोको द्वीप
  • श्रीलंका में हंबनटोटा बंदरगाह 99 साल के लिए पट्टे पर है
  • पाकिस्तान का ग्वादर बंदरगाह एक तरह से चीन के स्वामित्व में है

 

ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने सोमवार को कहा कि अमेरिका और उसके सहयोगियों को डर है कि इस समझौते के तहत ऑस्ट्रेलियाई तट से 2,000 किलोमीटर से भी कम दूरी पर चीनी नौसैनिक अड्डा बन सकता है। प्रधानमंत्री मॉरिसन ने कहा कि उनकी सरकार "बंदरगाह घाट, पनडुब्बी ऑप्टिकल केबल, जहाजरानी और जहाज की मरम्मत" आदि से संबंधित कथित मसौदा समझौते से हैरान नहीं है। उन्होंने संवाददाताओं से कहा, "हम इस बात से अच्छी तरह से अवगत हैं कि प्रशांत क्षेत्र में चीनी सरकार की महत्वाकांक्षाएं क्या हैं, चाहे वह उस तरह की सुविधाओं के संबंध में हो या नौसेना के ठिकानों या प्रशांत क्षेत्र में सेना की उपस्थिति के संबंध में।"

 

मॉरिसन ने कहा, " प्रशांत क्षेत्र के कई अन्य नेताओं की तरह मैं भी बहुत चिंतित हूं... इस प्रकार की व्यवस्था में चीनी सरकार के हस्तक्षेप और घुसपैठ के बारे में और दक्षिण-पश्चिम प्रशांत की शांति, स्थिरता और सुरक्षा के लिए इसका क्या मतलब हो सकता है।'' इससे पहले एक समाचार पत्र ने चीन द्वारा सोलोमन द्वीप में गोदी, घाट और पानी के नीचे केबल बिछाने की योजना की खबर प्रकाशित की थी। दि ऑस्ट्रेलियन अखबार ने इस साल चीन और सोलोमन द्वीप समूह के बीच हुए समुद्री सहयोग समझौते को प्रकाशित किया था। समाचार पत्र ने चार पन्नों का लीक दस्तावेज प्रकाशित किया था। चीन और सोलोमन ने हाल ही में पुष्टि की है कि उन्होंने एक अलग सुरक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।


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Content Writer

Tanuja

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