अफगानिस्तान का 102वां स्वतंत्रता दिवसः सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर रहा #donotchangenationalflag

punjabkesari.in Thursday, Aug 19, 2021 - 04:32 PM (IST)

इंटरनेशनल डेस्क: आतंकवादी संगठन तालिबान के साए में अफगानिस्तान गुरुवार को अपना 102वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है और इसी दौरान यहां के लोगों ने राष्ट्रीय ध्वज का समर्थन करते हुए इसे नहीं बदलने की मांग को लेकर सोशल मीडिया पर ‘#donotchangenationalflag' अभियान शुरू किया है। इस अभियान के तहत लोगों ने देश के लाल, हरे और काले राष्ट्रीय ध्वज का मुखर समर्थन किया, जिसे तालिबान ने देशभर से हटा दिया है और सभी जगहों पर अपने सफेद झंडे लगा दिए हैं। राजधानी काबुल में गुरुवार को प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रीय ध्वज फहराया और ‘अफगानिस्तान जिंदाबाद' के नारे लगाए। वहीं, कई युवा हालांकि तालिबानी झंडे का समर्थन करते भी नजर आए।

 

काबुल में बड़ी संख्या में युवा तालिबान के बैनर और झंडे के साथ नजर आए। उन्होंने तालिबान के झंडे वाले बंदाना (एक तरह का बड़ा रुमाल) भी बांध रखे थे। कुछ वेबसाइटों के अनुसार, तालिबान के सफेद बैनर में अरबी में लिखा है ‘ला इलाह इला अल्लाह, मोहम्मद रसूल अल्लाह' जिसका अर्थ है, ‘अल्लाह के अलावा कोई ईश्वर नहीं है और मोहम्मद अल्लाह के दूत हैं'। कई जगहों से स्थानीय लोगों के राष्ट्रीय ध्वज लहराते हुए दृश्य सोशल मीडिया पर पोस्ट किए गए। कुछ वीडियो और तस्वीरों में अफगान पुरुषों को राष्ट्रीय ध्वज फहराने के लिए खंबों पर चढ़े हुए दिखाया गया है।

 

राष्ट्रीय ध्वज के समर्थन में कई ट्विटर यूजर्स ने कहा कि मुझे अफगानिस्तान से प्यार है, मुझे अपने झंडे से प्यार है'', जबकि तालिबान के झंडे का समर्थन करने वालों ने कहा कि इस झंडे को प्यार करो...यह इस्लामिक देश अफगानिस्तान का प्रतीक है।'' इस बीच सर्वोच्च राष्ट्रीय सुलह परिषद के अध्यक्ष अब्दुल्ला अब्दुल्ला और पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई ने गुरुवार को पाकिस्तानी राजदूत मंसूर अहमद खान से मुलाकात की। मुलाकात के बाद करजई ने ट्विटर पर लिखा, ‘‘बैठक में देश की मौजूदा स्थिति तथा राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय वैधता वाली समावेशी राजनीतिक प्रक्रिया पर चर्चा की गयी।''

 

तालिबान ने गुरुवार को देश की आजादी की 102वीं वर्षगांठ के अवसर पर इस्लामिक अमीरात ऑफ अफगानिस्तान के गठन की घोषणा की। तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने अपने ट्विटर अकाउंट पर इसकी घोषणा की। बता दें कि गत रविवार को तालिबान ने अफगानिस्तान पर पूरी तरह कब्जा कर लिया, जिसके बाद अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने इस्तीफे की घोषणा की ओर देश छोड़ दिया। गनी ने कहा कि उन्होंने हिंसा को रोकने के लिए यह निर्णय लिया क्योंकि आतंकवादी राजधानी काबुल पर हमला करने के लिए तैयार थे।


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Content Writer

Seema Sharma

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