खौफ जो खा गया बचपन, तस्वीरें बहा देंगी आपकी आंखों में भी आंसू

punjabkesari.in Saturday, Apr 04, 2015 - 04:36 PM (IST)

अम्मान: पिछले कई सालों से गृहयुद्ध की आग में झुलस रहे सीरिया में बचपन की इस कद्र हत्या हो रही है कि हकीकत जानकर आप का दिल भी दहल जाए और आंखें नम हो जाएंगी। सीरियाई बच्चे खौफ के साएं में जी रहे हैं, जिस आंखों में सपने होने चाहिए थे वहां बस दर्द और उदासी है। 

जर्मन रेड क्रॉस के वर्कर ने रिफ्यूजी कैंप में रह रही चार साल की एक बच्ची की तस्वीर शेयर की है, जिसने उसके कैमरे को हथियार समझकर अपना हाथ ऊपर कर लिया। यह बच्ची सीरिया से है, जो जॉर्डन की राजधानी अम्मान से लगभग 93 कि.मी. दूर स्थित अरजक रिफ्यूजी कैंप में रह रही है।

आपको बता दें कि इससे पहले भी एक और 4 साल के  सीरियाई बच्चे ने कैमरे को देखकर सरेंडर कर दिया था। इस बात से आप इस बात का अंदाजा तो लगा ही सकते हैं कि बच्चे खौफ के साएं में किस तरह जी रहे हैं।

जर्मन रेडक्रॉस के रेने स्कल्टहॉफ ने कहा, "मैंने जैसे की कैमरा क्लिक करना चाहा, बच्ची डर गई। उसकी आंखों में हिंसा का खौफ साफ झलक रहा था। उसने कैमरे को बंदूक समझ लिया और डर के मारे हाथ उठा लिए। ठीक उसी तरह जैसे बड़े सरेंडर के समय करते हैं। बच्ची की आंखों में डर और आंसू देख, मेरी आखों में भी आंसू आ गए। यहां के बच्चे हरपल खौफ के साए में रहकर बड़े हो रहे हैं। उनकी आंखों में बस अजीब सी उदासी और दर्द भरे आंसू हैं।"

अरजक रिफ्यूजी कैंप में रह रही यह बच्ची उन 17,000 लोगों में से है जो सीरिया में बीते चार साल से जारी हिंसा से बचने के लिए यहां शरण लिए  हैं। कैंप में ही रह रही 83 वर्षीय फातिमा बक्कर कैमरे के सामने फूट-फूटकर रो पड़ीं। हिंसा से वह बच तो गईं, लेकिन उन्होंने अपने दोनों पैर गंवा दिए।

उल्लेखनीय है कि सीरिया में पिछले 4 सालों में 11 हजार बच्चों की मौत और 76 लाख प्रभावित हुए हैं। 26 लाख बच्चे स्कूल छोड़ चुके हैं और 50 हजार शिक्षकों की हत्या  हो चुकी है। वहीं,  42 लाख बेघर, 12 लाख लोगों ने दूसरे देशों में शरण ले रखी है। यहां तक की विद्रोहियों ने अनाथालयों पर भी हमले किए हैं। 

 

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