Mano Ya Na Mano Film Review: हिंदी में साइंस-फिक्शन और दार्शनिक ड्रामा का नया अनुभव
punjabkesari.in Friday, Nov 07, 2025 - 04:13 PM (IST)
फ़िल्म समीक्षा: मानो या ना मानो - एनीथिंग इज पॉसिबल
कलाकार: हितेन तेजवानी, राजीव ठाकुर, शिखा मल्होत्रा, निहार ठक्कर, पूर्णिमा नवानी, हँसी श्रीवास्तव, संजीव शुबा श्रीकर
निर्देशक: योगेश पगारे
प्लेटफ़ॉर्म: SciFiIndianFilms यूट्यूब चैनल
रेटिंग: 3 स्टार्स
हिंदी सिनेमा में अक्सर साइंस-फ़िक्शन और दार्शनिक कथाएँ सीमित रूप में ही देखने को मिलती हैं। ऐसी ही एक साहसिक और विचारोत्तेजक फ़िल्म है ‘मानो या ना मानो – एनीथिंग इज़ पॉसिबल’। यह फ़िल्म हॉलीवुड क्लासिक A Man From Earth का आधिकारिक रूपांतरण है, लेकिन इसे भारतीय परिवेश और भावनाओं के साथ नया जीवन मिला है। फिल्म की अवधि 71 मिनट है और इसे साइ–फ़ाई इंडियन फ़िल्म्स और फॉलिंग स्काई एंटरटेनमेंट के सहयोग से निर्मित किया गया है।
कहानी
कहानी एक अंतरंग और दोस्ताना माहौल में शुरू होती है। वंश मेहता की जन्मदिन पार्टी और प्रोफ़ेसर मानव कुमार की विदाई के अवसर पर कुछ मित्र इकट्ठा होते हैं। बातचीत और हँसी-मज़ाक के बीच मानव एक अचंभित करने वाला रहस्य खोलता है वह पिछले 14,000 वर्षों से अपनी उम्र नहीं बढ़ा है। कुछ लोग इसे मजाक समझते हैं, कुछ शक करते हैं, और कुछ इसके पीछे छिपी सच्चाई खोजने की कोशिश में लग जाते हैं। फ़िल्म की दिलचस्पी इस सवाल में है कि क्या मानव सच बोल रहा है या यह सब सिर्फ एक दार्शनिक खेल है।
अभिनय
हितेन तेजवानी ने मानव के रहस्यमय और जटिल किरदार को बेहद सहजता और गहराई के साथ निभाया है। उनकी शांत, नियंत्रित शैली और आँखों में छिपी भावनाएँ दर्शकों को पात्र में विश्वास दिलाती हैं। राजीव ठाकुर ने वंश के रूप में हल्का-फुल्का हास्य और सामाजिक सहजता का तड़का दिया है, जबकि शिखा मल्होत्रा, निहार ठक्कर, पूर्णिमा नवानी, हँसी श्रीवास्तव और संजीव शुबा श्रीकर ने अपने-अपने किरदारों में प्राकृतिक और प्रभावशाली प्रदर्शन किया है।
निर्देशन
योगेश पगारे का निर्देशन फ़िल्म का सबसे मजबूत पक्ष है। पूरी कहानी एक ही लोकेशन में घटती है, लेकिन उनकी कैमरा चाल, दृश्य रचना और संवादों की गहराई इसे हर पल रोचक बनाए रखती है। फिल्म का छोटा समयावधि (71 मिनट) इसे केंद्रित और प्रवाहपूर्ण बनाती है, जिससे दर्शक कहानी से कभी भटकते नहीं हैं।
