Bhay Review: पैरानॉर्मल रहस्यों की डरावनी दुनिया में ले जाती है ‘भय: द गौरव तिवारी मिस्ट्री’, पढ़ें रिव्यू
punjabkesari.in Sunday, Dec 14, 2025 - 12:54 PM (IST)
वेब सीरीज- भय: द गौरव तिवारी मिस्ट्री (Bhay: The Gaurav Tiwari Mystery)
स्टारकास्ट- करण टैकर (Karan Tacker), कल्कि कोचलिन (Kalki Koechlin) , सलोनी बत्रा (Saloni Batra) , दानिश सूद (Danish Sood), शुभम चौधरी (Shubham Chaudhary), निमिषा नायर (Nimisha Nair)
डायरेक्टर- रॉबी ग्रेवाल (Robby Grewal)
प्लेटफॉर्म- अमेज़न एमएक्स प्लेयर (Amazon MX Player)
रेटिंग: 3.5*
Bhay: The Gaurav Tiwari Mystery: भय: द गौरव तिवारी मिस्ट्री एक रहस्यमयी वेब सीरीज है जो भारत के पहले और सबसे प्रसिद्ध पैरानॉर्मल इन्वेस्टिगेटर गौरव तिवारी की ज़िंदगी और उनकी रहस्यमयी मौत पर आधारित है। यह सीरीज गौरव तिवारी के मामलों, उनके डरावने अनुभवों और उनकी मौत के पीछे छिपे सच को सामने लाने की कोशिश करती है। 12 दिसंबर को अमेज़न एमएक्स प्लेयर पर रिलीज़ हो चुकी इस वेब सीरीज में करण टैकर मुख्य भूमिका में नजर आते हैं, जबकि उनके साथ कल्कि कोचलिन, सलोनी बत्रा, दानिश सूद, शुभम चौधरी और निमिषा नायर अहम किरदार निभाते हुए कहानी को और भी रोमांचक बनाते हैं। यह सीरीज का पहला सीजन है जो 8 एपिसोड्स का है तो चलिए जानते हैं इसकी कहानी...

कहानी
सीरीज़ भय की कहानी की शुरुआत एक मुर्दाघर से होती है जहां दो डॉक्टर गौरव तिवारी के शव का पोस्टमॉर्टम करते हैं और शुरुआती तौर पर उनकी मौत को आत्महत्या मान लिया जाता है लेकिन उनके गले पर मौजूद एक रहस्यमयी निशान इस निष्कर्ष पर सवाल खड़े कर देता है। इसी बीच एक लेखिका गौरव तिवारी के जीवन पर किताब लिखना शुरू करती है और कहानी फ्लैशबैक में चली जाती है। फ्लैशबैक में दिखाया जाता है कि कैसे पहली बार गौरव अपने दोस्तों के साथ आत्मा बुलाने का खेल खेलता है, जहां वह मज़ाक में अपने दोस्त की दादी की आत्मा आने का नाटक करता है, लेकिन इस दौरान वह ऐसी बातें कह देता है जिन्हें केवल उस दादी के बारे में ही पता था। यहीं से अलौकिक घटनाओं की शुरुआत होती है।

आगे कहानी बताती है कि गौरव का सपना पायलट बनने का था, लेकिन एक दिन अकेले विमान उड़ाते समय हुए रहस्यमयी हादसे के बाद उसका जीवन पूरी तरह बदल जाता है और वह पैरानॉर्मल इन्वेस्टिगेटर बनने का फैसला करता है। इसी सफर में इंडियन पैरानॉर्मल सोसाइटी (IPS) की स्थापना होती है, जहां गौरव के साथ तीन और लोग काम करते हैं। उसके दस साल के करियर में शुरुआती पांच साल सब कुछ सामान्य रहता है लेकिन आख़िरी पांच सालों में ऐसी अजीब और डरावनी घटनाएं होने लगती हैं जो उसकी ज़िंदगी को अंधेरे की ओर ले जाती हैं। आगे क्या होता है और उसकी मौत के पीछे असली सच क्या है, यह जानने के लिए पूरी सीरीज़ देखनी होगी।

एक्टिंग
इस सीरीज़ की सबसे बड़ी ताकत इसका सशक्त और प्रभावशाली अभिनय है विशेष रूप से करण टैकर का जिन्होंने गौरव तिवारी के किरदार को गहरी संवेदनशीलता और गंभीरता के साथ पर्दे पर उतारा है। उनके अभिनय में गौरव की शांति, बौद्धिक जिज्ञासा और अंदर चल रहे मानसिक द्वंद्व को बेहद खूबसूरती से दर्शाया गया है जो दर्शकों को भावनात्मक रूप से किरदार से जोड़ देता है। कल्कि कोचलिन ने भी किसी तरह के ओवर-ड्रामा से बचते हुए सहज, संतुलित और विश्वसनीय अभिनय किया है जिससे उनका किरदार पूरी तरह वास्तविक लगता है। अकेलेपन, भय और मानसिक दबाव को उकेरने वाले भावनात्मक दृश्य गहरा प्रभाव छोड़ते हैं। वहीं सलोनी बत्रा, दानिश सूद, शुभम चौधरी और निमिषा नायर ने भी अपने-अपने किरदारों में मजबूती और ईमानदारी दिखाई है जिससे पूरी सीरीज़ की अभिनय गुणवत्ता और कहानी दोनों और निखरकर सामने आती हैं।

डायरेक्शन
भय: द गौरव तिवारी मिस्ट्री का निर्देशन रॉबी ग्रेवाल ने किया है और उनका काम सीरीज की सबसे मज़बूत कड़ियों में से एक बनकर सामने आता है। उनका डायरेक्शन सहज, संतुलित और कहानी की गंभीरता के अनुरूप है, जहां डर को ज़बरदस्ती थोपने के बजाय धीरे-धीरे माहौल के ज़रिए रचा गया है। तकनीकी रूप से भी सीरीज़ काफ़ी मजबूत है। बैकग्राउंड स्कोर बिना हावी हुए रहस्यमय और सिहरन भरा वातावरण तैयार करता है, जबकि सिनेमैटोग्राफी में परछाइयों, कम रोशनी और सीमित स्पेस का प्रभावी इस्तेमाल डर की भावना को और गहरा करता है। सहायक कलाकारों से भी रॉबी ग्रेवाल ने विश्वसनीय परफॉर्मेंस निकलवाई है, जिससे डर, संदेह और भावनात्मक टकराव स्वाभाविक लगते हैं। कुल मिलाकर सीरीज आपको बांधे रखेगी।
