Yam Chaturdashi: ऐसे हुआ यमराज के लिए दीपक जलाने की परंपरा का आरंभ, पढ़ें कथा

punjabkesari.in Wednesday, Nov 08, 2023 - 07:22 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Yam Chaturdashi katha: भारतीय संस्कृति व हमारे पुराणों में इस बात का उल्लेख मिलता है कि हमारे देश में भगवान सूर्य तथा उसके प्रकाश की पूजा करना अति प्राचीन परम्परा है। आश्विन और कार्तिक माह में सूर्य विषुवत रेखा पर होता है, इसलिए इसे शरद संपात भी कहा जाता है। वर्षा ऋतु के अंत व शीत प्रारम्भ होने की खुशी में दीपावली पर्व मनाए जाने का उल्लेख मिलता है इसलिए वर्ष के इस महान व पुनीत पर्व से पूर्व मृत्यु के देवता यम की पूजा-अर्चना कर उसके नाम का दीपक जलाकर अकाल मृत्यु से मुक्ति की याचना तथा जीवन दीर्घायु की कामना करने की पुरानी परिपाटी चली आ रही है। इसे कहीं नरक चौदस या यम चतुर्दशी के नाम से जाना जाता है। 

PunjabKesari Yam Chaturdashi k

वैसे तो अंधकार को मृत्यु का प्रतीक माना जाता है लेकिन पौराणिक मान्यताओं के आधार पर यम को ही मृत्यु का देवता माना गया है। ऐसा माना गया है कि मानव कल्याण की दिशा में बलि होने वाले प्रथम पुरुष महर्षि और परम ज्ञानी ‘यमदेव’ ही थे। अत: जीवन के गूढ़ रहस्य को समझने व इसे प्रचारित करने वाले एक व्याख्याता होने के ‘यमराज’ में सर्व गुण हैं। यमराज को ‘यमुना’ का भाई भी माना गया है जो ‘यम द्वितीया’ के दिन उनको तिलक लगाकर भ्रातृ-स्नेह का परिचय देती हैं। साथ ही अपनी रक्षा का वचन लेती हैं। 

यमदेव इस सृष्टि को व्यवस्थित रखने के लिए अपना ‘काल चक्र’ चलाते हैं, जिससे बदलाव होता है। मृत्यु को मनुष्य ने ‘कठोर सत्य’ के रूप में स्वीकारा है, इसीलिए ‘यमराज’ को मृत्यु का प्रतीक भी स्वीकार किया है, इसीलिए प्राणी प्रतिपल मृत्यु की कामना करते हैं।

PunjabKesari Yam Chaturdashi k

यमराज वैसे तो एक वैदिक ऋषि का नाम था, जिन्होंने देवताओं के लिए स्वयं मृत्यु को स्वीकारा था लेकिन उन्होंने मनुष्य के लिए अमरत्व की कामना नहीं की बल्कि अपनी बलि देकर देह का परित्याग किया। कालान्तर में वही सूर्य के पुत्र ‘आदित्य’ के नाम से जाने गए जो दक्षिणांचल के स्वामी भी बनाए गए। देवलोक व यमलोक के विकास के पश्चात वह यमलोक के स्वामी हुए और उन्हें मृत्यु के देवता की उपाधि प्रदान की गई। 

पुराणों में यह बात सर्वविदित है कि ऋषि उद्दालक ने अपने पुत्र नचिकेता को गुस्से में ‘यमराज’ को भेंट कर दिया था। नचिकेता ने यमलोक में यमराज से ‘आत्मा’ का रहस्य जानना चाहा जिसे यमराज ने नहीं बताया बल्कि यमलोक में ब्रह्मलोक का ज्ञान अवश्य उसे दिया था। कहा जाता है कि पुन: भूलोक पर आने व ज्ञान प्राप्त करने की खुशी में कार्तिक चतुर्दशी को मृत्युलोक (संसार) में सर्वत्र दीप जलाकर उन्होंने प्रकाशोत्सव का शुभारम्भ किया था। 

PunjabKesari Yam Chaturdashi k

 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Niyati Bhandari

Recommended News

Related News