इस कथा को पढ़े बिना नहीं मिलेगा तीर्थयात्रा का पुण्य

punjabkesari.in Saturday, Aug 24, 2019 - 12:50 PM (IST)

ये नहीं देखा तो क्या देखा (VIDEO)
एक बार संत तुकाराम से मिलने उनके गांव के कुछ लोग आए। उन्होंने तुकाराम जी के प्रति सम्मान प्रकट करते हुए उनसे प्रार्थना की, ‘‘हम लोग तीर्थयात्रा के लिए जा रहे हैं, आप भी हमारे साथ चलने की कृपा करें।’’ 

PunjabKesari, Tukaraam, तुकाराम
तुकाराम जी ने असमर्थता प्रकट की और एक गठरी देते हुए कहा, ‘‘इसमें कुछ ककड़ियां हैं। तुम लोग जिन तीर्थ स्थानों पर जाओ, उन स्थानों पर इन्हें नदी या तालाब में डुबो कर स्नान करवा देना। फिर इन्हें वापस ले आना।’’ 

तीर्थयात्रा के दौरान उन लोगों ने वैसा ही किया। वे भगवान का स्मरण करते हुए जिस नदी में स्नान करते, उस पोटली में बंधी हुई ककड़ियां को भी डुबो कर निकाल लेते। तीर्थयात्रा से गांव लौटकर उन्होंने तुकाराम जी को ककड़ियां की पोटली लौटा दी।
PunjabKesari, ककड़ी, Cucumber
तुकाराम जी ने उन सबको दूसरे दिन भोजन के लिए अपने घर आमंत्रित किया। तुकाराम जी ने उन ककड़ियां की सब्जी बनवाई और उसे भोजन में परोसा। भोजन करने के बाद सब एक ही स्थान पर बैठ गए। तुकाराम जी ने पूछा, ‘‘तुम लोगों ने ककड़ियां को इतने तीर्थ स्थानों पर स्नान करवाया। क्या उनके कड़वेपन में कोई फर्क पड़ा?’’ उन्होंने उत्तर दिया, ‘‘नहीं महाराज, ककड़ियां के कड़वेपन में कोई अंतर नहीं आया।’’

तुकाराम जी ने उन्हें समझातेे हुए कहा, ‘‘इतने तीर्थ स्थानों पर स्नान करके, इतने मंदिरों में जाकर भी ककड़ियां कड़वी ही रहीं। ककड़ियां ने कड़वेपन का सहज गुण त्यागा नहीं। इसी प्रकार तीर्थयात्रा करने के बाद भी लोग वैसे के वैसे बने रहते हैं। तीर्थयात्रा करने पर लोगों के दुर्गुण छूटने चाहिएं और उनकी बुद्धि का विकास होना चाहिए। उनके मन में परिवर्तन आने चाहिएं। मनुष्य को शुद्ध और निर्मल बनाने के लिए ही तीर्थयात्राएं रखी गई हैं किन्तु लोगों ने तीर्थयात्रा को विनोद यात्रा में परिवर्तित कर दिया है, जो सही नहीं है।’’
PunjabKesari, Teerth Yatra, तीर्थ यात्रा, तीर्थ यात्रा पर जाते साधु संत
 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Jyoti

Related News