Budh Pradosh Vrat Katha 2025: बुध प्रदोष व्रत कथा पढ़ने से खुलेंगे धन और सफलता के योग
punjabkesari.in Wednesday, Dec 17, 2025 - 07:49 AM (IST)
Budh Pradosh Vrat 2025: सनातन धर्म में प्रदोष व्रत का अत्यंत विशेष महत्व बताया गया है। यह व्रत प्रत्येक माह त्रयोदशी तिथि को भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है। जब प्रदोष व्रत बुधवार के दिन पड़ता है, तब इसे बुध प्रदोष व्रत कहा जाता है। शास्त्रों और पुराणों के अनुसार, इस दिन व्रत रखने और कथा श्रवण करने से धन, बुद्धि, व्यापार, नौकरी और पारिवारिक सुख में वृद्धि होती है।

पंचांग के अनुसार, 17 दिसंबर को बुध प्रदोष व्रत का शुभ समय शाम 05:27 से रात 08:11 बजे तक रहेगा। इस समय शिव पूजन और कथा पाठ का विशेष फल मिलता है।

Budh Pradosh Vrat Katha 2025 बुध प्रदोष व्रत की पौराणिक कथा
प्राचीन काल की बात है। एक युवक का नया-नया विवाह हुआ था। विवाह के दो दिन बाद ही उसकी पत्नी मायके चली गई। कुछ समय पश्चात युवक अपनी पत्नी को लेने ससुराल पहुंचा। वह दिन बुधवार का था। सास-ससुर ने बुधवार को विदाई अशुभ मानते हुए मना किया, लेकिन युवक ने उनकी बात नहीं मानी और पत्नी को साथ ले आया।
नगर से बाहर पहुंचने पर पत्नी को प्यास लगी। युवक पानी लेने चला गया और पत्नी एक पेड़ के नीचे बैठ गई। कुछ देर बाद युवक जब पानी लेकर लौटा, तो उसने देखा कि उसकी पत्नी किसी अन्य पुरुष से हंसकर बातें कर रही है और उसी के लोटे से पानी पी रही है। युवक क्रोधित हो गया।
जब वह पास गया, तो उसने देखा कि वह पुरुष बिल्कुल उसी के समान दिखता है। पत्नी भी भ्रम में पड़ गई। दोनों पुरुषों में विवाद होने लगा और देखते ही देखते वहां भीड़ इकट्ठा हो गई। नगर के सिपाही भी आ गए और पत्नी से पूछा गया कि उसका असली पति कौन है। वह असमंजस में पड़ गई।
तब युवक ने भगवान शिव से सच्चे मन से प्रार्थना की और अपनी भूल स्वीकार की कि उसने बुधवार को पत्नी की विदाई कराकर शास्त्रों की अवहेलना की। उसकी प्रार्थना पूरी होते ही वह दूसरा पुरुष अंतर्ध्यान हो गया। इसके बाद पति-पत्नी सकुशल अपने घर पहुंचे और जीवनभर प्रदोष व्रत का पालन करने लगे।

बुध प्रदोष व्रत का महत्व
शिव पुराण के अनुसार, बुध प्रदोष व्रत करने से व्यापार और नौकरी में सफलता मिलती है। बुद्धि और वाणी में मधुरता आती है। वैवाहिक जीवन सुखमय होता है और भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

