वास्तु गुरू कुलदीप सलूजा: शिवसेना भवन के वास्तुदोषों के कारण ही होती है पार्टी में बगावत

punjabkesari.in Tuesday, Aug 30, 2022 - 09:32 AM (IST)

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Shiv Sena: शिवसेना, भारत में एक दक्षिणपंथी मराठी क्षेत्रीय और अतिराष्ट्रवादी राजनीतिक दल है। जिसकी स्थापना 19 जून 1966 को कार्टूनिस्ट बाल ठाकरे जी ने एक राजनीतिक संगठन के रूप में की। पार्टी का चुनाव चिन्ह धनुष और तीर है। हिंदी फिल्म उद्योग पर भी पार्टी की मजबूत पकड़ है। वर्तमान में बाल ठाकरे के बेटे, उद्धव ठाकरे पार्टी के नेता हैं।1970 के दशक में, शिवसेना ने धीरे-धीरे एक मराठी समर्थक विचारधारा की वकालत करते-करते हिंदू राष्ट्रवादी एजेंडे का समर्थन करते हुए पार्टी ने खुद को भारतीय जनता पार्टी के साथ जोड़ लिया। 2019 में शिवसेना एनडीए से अलग हो गई और यूपीए में शामिल हो गई। इसने महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए ‘महा विकास अघाड़ी’ नामक एक उप-गठबंधन का गठन किया, जिसमें शिवसेना के उद्धव ठाकरे, मंत्रालय का नेतृत्व कर रहे थे। शिवसेना के एक वरिष्ठ नेता, एकनाथ शिंदे, पिछले भाजपा-शिवसेना गठबंधन को फिर से स्थापित करना चाहते थे और बाद में एकनाथ शिंदे ने शिवसेना के विधायकों का बहुमत हासिल करते हुए विद्रोह कर दिया। एकनाथ शिंदे ने 30 जून को देवेंद्र फडणवीस के साथ डिप्टी सीएम के रूप में नए मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। 19 जुलाई को शिंदे के नेतृत्व वाले विद्रोही गुट के 19 में से 12 सांसदों के जाने के बाद पार्टी का लोकसभा में भी विभाजन हो गया।

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शिवसेना नेतृत्व में विद्रोह कोई नई बात नहीं है। शिवसेना को चार मौकों पर अपने प्रमुख पदाधिकारियों की ओर से बगावत का सामना करना पड़ा है। इन बगावतों में से तीन बगावतें शिवसेना के ‘करिश्माई संस्थापक’ बाल ठाकरे के समय में हुई हैं। वर्ष 1991 में शिवसेना को पहला बड़ा झटका तब लगा था जब पार्टी के अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) चेहरा रहे छगन भुजबल ने पार्टी छोड़ने का फैसला किया था। भुजबल ने शिवसेना के 18 विधायकों के साथ पार्टी छोड़ दी थी।

पार्टी को दूसरा झटका तब लगा, जब वर्ष 2005 में पूर्व मुख्यमंत्री नारायण राणे ने पार्टी छोड़ दी तथा वह कांग्रेस में शामिल हो गए थे। नारायण राणे ने बाद में कांग्रेस छोड़ दी और वर्तमान में वह बीजेपी के राज्यसभा सदस्य और केंद्रीय मंत्री भी हैं।

शिवसेना को तीसरा झटका 2006 में लगा जब उद्धव ठाकरे के चचेरे भाई राज ठाकरे ने पार्टी छोड़ने और अपना खुद का राजनीतिक संगठन ‘महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे)’ बनाने का फैसला किया।

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शिवसेना का केंद्रीय कार्यालय दादर, मुंबई में राम गणेश गडकरी चौक और शिवाजी पार्क पर स्थित है। इसका उद्घाटन 19 जून 1977 को हुआ था। पुनर्निर्मित सेना भवन का उद्घाटन 27 जुलाई 2006 को हुआ था। शिवसेना भवन एक त्रिकोणाकार इमारत है। इसमें शिवाजी महाराज की तांबे की मूर्ति और बालासाहेब ठाकरे का एक बड़ा पोस्टर है।

आइये देखते हैं कि आखिर ऐसा क्या है कि शिवसेना के बनने के बाद से ही इस पार्टी में हमेशा अंदर से ही बगावत होती रहती है। शिवसेना के मुख्यालय अर्थात जहां से पार्टी का संचालन होता है के वास्तुदोषों के कारण ही शिवसेना में अंदर से ही बगावत होती रही है और आगे भी होती रहेंगी।

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वास्तुशास्त्र के अनुसार यदि कोई भवन या इमारत त्रिभुजाकार हो तो ऐसे भवन में रहने वालों के शत्रु हमेशा अंदर से ही होंगे और वह बगावत करेंगे तथा इन्हें अपने ही लोगों से शत्रुता का सामना करना पड़ेगा। शिवसेना मुख्यालय भी त्रिभुजाकार है तथा ऐसे भवन में संचालित होने के कारण ही शिवसेना को अपने ही लोगों से बगावत का सामना करना पड़ता है। 

अतः पार्टी को चाहिए कि बार-बार होने वाली बगावत से बचने के लिए अपने वर्तमान मुख्यालय को शिवसेना का संग्रहालय बना लें। जहां बाला साहेब ठाकरे की यादें संजोयी जा सके तथा पार्टी का एक नया मुख्यालय बनाना चाहिये जो आयताकार हो और वास्तुनुकूल भी हो। जब तक नया मुख्यालय नहीं बनता तब तक के लिए उद्धव ठाकरे जी को चाहिए कि वे पार्टी की सभी गतिविधियां किसी अन्य वास्तु अनुकूल भवन से करें।

वास्तु गुरू कुलदीप सलूजा
thenebula2001@gmail.com

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Content Writer

Niyati Bhandari

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