योग एक अभ्यास नहीं एक शक्ति है, गुरु ही है उसका प्रवेश द्वार

punjabkesari.in Thursday, Jul 03, 2025 - 07:29 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

हज़ारों वर्ष पूर्व जिस योग का ज्ञान हमारे ऋषि मुनियों ने निस्वार्थ भाव से मनुष्य कल्याण के लिए दिया था। आज उसी योग को तोड़-मरोड़ कर नए तमाशों और अजीबोगरीब वस्तुओं को बेचने वाले न तो ढोंगियों की ही कमी है और न ही योग के नाम पर व्यापार करने वाले संगठनों की। इस प्रकार की ख़रीद- बेच, यह सोचने पर मजबूर कर देती है कि वास्तव में योग तथा अन्य आध्यात्मिक विज्ञान क्या माया से बाहर निकलने का मार्ग हैं या फिर माया के बंधनों में बंधने का ? बिना यह जाने कि कहां जाना है और क्या चाहिए ? अधिकतर लोग योग कोर्स के नाम पर चतुर व्यापारियों के चंगुल में फंस कर भ्रमित होते हैं और अपना जीवन, समय और धन नष्ट करते हैं।  

प्राचीन ऋषि मुनियों की युवा शक्ति,अद्भुत क्षमता व आभा उनकी आखिरी सांस तक बनी रहती थी तथा इस सृष्टि का संचालन करने वाली सूक्ष्म शक्तियों का भी उन्हें अनुभव था। मैं इस बात का आश्वासन देता हूं कि न ही उन्होंने कोई योग के कोर्स किये थे और न ही योग का दावा करने वाली कोई वस्तुऐं खरीदीं थीं।

इस सृष्टि का संचालन कर रही सूक्ष्म शक्तियां हमारी आंखों के सामने ही हैं किन्तु उनका अनुभव करने के लिए सूक्ष्म इन्द्रियों की जागृति चाहिए। उनकी जागृति के लिए मूल इन्द्रियों पर नियंत्रण आवश्यक है क्योंकि यही इन्द्रियां तो मस्तिष्क को माया रुपी संसार में निरन्तर संलग्न रखती हैं। गुरु शक्ति के सानिध्य में ही यह नियंत्रण संभव है, जिनके माध्यम से इस सृष्टि की संचालक शक्तियों का अनुभव प्राप्त होता है। हमारी मूल इन्द्रियों को शांत व स्थिर करने की कुंजी हमारे सांस लेने के तरीके में निहित है जो कि लम्बा, गहरा और धीमा होना चाहिए तथा तेज़ी से सांस लेने वाले प्राणायाम बंद कर देने चाहियें।

योग एक शक्ति का विषय है और उस शक्ति तक पहुंचने के लिए योग में पहला कदम रखने से पूर्व गुरु बनाये जाते हैं। आत्मिक उत्थान का विचार ही आपको सच्चे योग गुरु से मिला सकता है और वही आपको सद्कर्म का मार्ग दिखाते हुए आध्यात्मिक शक्तियों का अनुभव दे सकते हैं। 

अश्विनी गुरुजी
 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Editor

Prachi Sharma

Related News