अगर आप भी रख रहे हैं गुरुवार का व्रत तो ये है पूजन विधि

punjabkesari.in Thursday, Sep 19, 2019 - 09:50 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
हिंदू पंचांग के अनुसार गुरुवार का दिन भगवान विष्णु और देव गुरु बृहस्पति को समर्पित होता है। इस दिन बहुत से लोग व्रत भी करते हैं और पूरे विधि-विधान के साथ पूजा भी करते हैं। कहते हैं व्रत करने से व्यक्ति की सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है। इसके साथ ही अगर कोई कुंआरी कन्या बृहस्पतिवार के व्रत कर ले तो उनके विवाह में आने वाली हर समस्या का अंत होता है। संतान सुख से वंचित लोगों के लिए भी ये व्रत शुभ माना गया है। चलिए आज हम आपको इस व्रत की पूरी विधि व किन लोगों को उपवास करना चाहिए, उसके बारे में बताते हैं। 
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कहते हैं कि जिनकी कुंडली में बृहस्पति ग्रह कमजोर हो और विवाह में देरी और रुकावट आ रही हो, वैवाहिक जीवन अच्छा नहीं चल रहा हो, ऐसे लोग व्रत कर सकते हैं। 

संतान संबंधी समस्या या संतान सुख से वंचित हो, वे लोग अगर व्रत करें तो भगवान श्री हरि जल्दी प्रसन्न होकर व्यक्ति को मनचाहा फल देते हैं। 

ऐसा भी कहा जाता है जिन्हें पेट या मोटापे से संबंधित समस्या हो या जिन्हें अपना आध्यात्मिक पक्ष मजबूत करना हो और बुद्धि और शक्ति की कामना हो, वे भी व्रत कर सकते हैं। 

व्रत विधि
शास्त्रों के अनुसार यह व्रत लगातार 7 या 16 गुरुवार तक रखना चाहिए। बेहतर होगा कि इस व्रत का आरंभ अनुराधा नक्षत्र युक्त गुरुवार से किया जाए। 
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इस दिन व्रती को सुबह स्नान कर विष्णु भगवान का ध्यान करके व्रत करने का संकल्प लेना चाहिए। बृहस्पतिदेव की पूजा करने के लिए, उनका ध्यान करें और फल, फूल और पीले वस्त्रादि से बृहस्पतिदेव और विष्णुजी को अर्पित करें।

एक लोटे में जल लें उसमे थोड़ी हल्दी डालकर विष्णु भगवान या केले के पेड़ की जड़ को स्नान कराइए। अब उस लोटे में गुड़ और चने की दाल डालें और अगर आप केले के पेड़ की पूजा कर रहें हैं तो उसी पर इसे चढ़ा दीजिये। अब भगवान का तिलक हल्दी या चन्दन से करिए, पीला चावल चढ़ाएं, घी का दीपक जलाएं।
गुरुवार के दिन जरूर पढ़े ये व्रत कथा
उपवास वाले दिन श्रीहरि की पूजा करने के बाद व्रत कथा जरूर पढ़ें या सुनें। इस दिन एक बात का ध्यान जरूर रखें कि केले का दान करना चाहिए लेकिन केला खुद न खाएं। 
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व्रत वाले दिन एक बार बिना नमक का पीले रंग का भोजन ग्रहण करना चाहिए और शाम को कथा सुनने के बाद ही भोजन ग्रहण करना चाहिए। 


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