सोने-चांदी व हीरे से बनी है ये रामायण, वर्ष में केवल 3 बार होते हैं दर्शन

punjabkesari.in Saturday, Mar 31, 2018 - 12:31 PM (IST)

रामायण आदि कवि वाल्मीकि द्वारा लिखा गया संस्कृत का एक अनुपम महाकाव्य है। यह हिंदू स्मृति का वह अंग हैं जिसके माध्यम से रघुवंश के राजा श्रीराम की गाथा कही गई है। इसके व भगवान राम के प्रति हिंदू समुदाय के लोगों की असीम आस्था जुड़ी हुई है। श्रीराम के भक्त उनके प्रति अपने प्रेम-भाव को साबित करने के लिए हर हद तक जाने के लिए तैयार रहते हैं। एक एेेसे ही रामभक्त थे रामभाई गोकर्णभाई जिन्होंने 1981 में एक अद्भुत तरीके से रामायण लिख अपनी भक्ति की प्रमाण पत्र दिया था। सूरत के भेस्तान स्थित लुहार फलिया में 222 तोले सोने की स्याही से लिखी गई इस रामायण को 25 मार्च, 2018 रामनवमी के दिन भक्तों के दर्शन के लिए रखा गया था। 

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इसमें खासियत क्या थी, इसके बारे में किसी को पता नहीं है तो आईए आपको बताएं इसके बार में
रामभाई गोकर्णभाई भक्त ने 19 किलो वजनी और 530 पन्ने की रामायण लिखी जिसमें उन्होंने 222 तोला सोने की स्याही का प्रयोग किया था, और इतना ही नहीं 10 किलो चांदी, चार हजार हीरा के साथ माणिक और पन्ना जैसे रत्नों को प्रयोग में लाया है। गौर करने वाली बात यह भी है कि किताब में जो जिल्द चढ़ाई गई है वो 5 किलो की चांदी की है।

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कुछ लोगों के अनुसार, इसमें हीरे का प्रयोग अक्षरों को शाइनिंग देने के लिए किया गया है। इसी को प्रदर्शित करने के लिए सोने की स्याही से यह रामायण लिखी गई। सूरत भेस्तान निवासी रामभाई गोकर्णभाई भक्त के परपोते गुरुवंत भाई ने एक एक मीडिया को बताते हुए कहा कि, विश्व की यह पहली रामायण है जिसे लिखने में पूरी तरह से हीरे, माणिक, पन्ना और नीलम का प्रयोग किया गया है। अगर इस किताब की कीमत को आंका जाए तो करोड़ो में आएगी।

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रामायण के मेन पेज पर एक तोले चांदी की शिवजी की प्रतिमा, आधा तोले की, हनुमान जी और आधे तोले की गणेश प्रतिमा उत्कीर्ण की गई है। गुरुवंत भाई की दी गई जानकारी के मुताबिक, इस रामायण के कागज जर्मनी से मंगवाए गए थे। इस कागज की खासियत यह है कि इसे धोने के बाद इसपर दोबारा लिखा जा सकता है। यह कागज की सफेदी की बात करें तो अगर इसे धुले हुए हाथों से छुआ जाए तो इसमें दाग पड़ जाते हैं। 25 मार्च में श्रीराम जी के जन्मदिन के अवसर पर सोने से लिखी गई इस रामायण की पूजा की जाती है। भक्त इसके दर्शन साल में सिर्फ तीन बार गुरुपूर्णिमा, रामनवमी और दीपावली के दूसरे दिन यानी नववर्ष पर ही कर पाते हैं।


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Jyoti

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