Mukhyamantri Tirth Yatra Yojana: पंजाब सरकार ने हाईकोर्ट में जवाब दाखिल कर बताया- श्रद्धालुओं को हवाई सफर करवाने की कोई योजना नहीं
punjabkesari.in Thursday, Apr 25, 2024 - 08:25 AM (IST)
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चंडीगढ़ (हांडा): ‘मुख्यमंत्री तीर्थ यात्रा योजना’ को लेकर पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में दाखिल हुई जनहित याचिका पर हुए नोटिस का जवाब दाखिल कर पंजाब सरकार ने कहा है कि श्रद्धालुओं को हवाई सफर की फिलहाल अभी कोई योजना नहीं है। दाखिल हलफनामे में कहा गया कि सिर्फ पंजाब सरकार ही नहीं बल्कि कई अन्य राज्य भी श्रद्धालुओं को मुफ्त धार्मिक स्थानों की यात्रा करवा रहे हैं या करवाते आए हैं।
होशियारपुर निवासी परविंद्र सिंह किटना ने एडवोकेट एच.सी. अरोड़ा के माध्यम से हाईकोर्ट में दाखिल की जनहित याचिका में बताया था कि 27 नवम्बर, 2023 को पंजाब सरकार ने पंजाब के लोगों के लिए मुफ्त तीर्थ यात्रा की योजना शुरू की थी।
इसके तहत इस वित्तीय वर्ष में 13 सप्ताह की अवधि के दौरान 13 ट्रेनें चलाई जाएंगी और प्रत्येक ट्रेन में 1000 यात्रियों को शामिल किया जाएगा। इसके साथ ही राज्य में विभिन्न स्थानों से प्रतिदिन 10 बसें चलाई जाएंगी और प्रत्येक बस में 43 यात्रियों को ले जाया जाएगा। इस योजना पर राज्य सरकार 40 करोड़ रुपए खर्च करने जा रही है और इस योजना से 50,000 लोगों को लाभान्वित किया जाना है। याचिकाकर्त्ता का आरोप है कि सरकार की उक्त योजना के तहत सीधे तौर पर करदाताओं के पैसे की बर्बादी की जा रही है क्योंकि इस तरह की योजना से राज्य में कोई विकास नहीं होगा, न ही किसी को लाभ होगा, बल्कि उक्त योजना सिर्फ राजनीतिक रूप से लाभ लेने का प्रयास है।
याची ने कोर्ट में उदाहरण देते हुए बताया कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से केन्द्र सरकार बनाम रफीक शेख और अन्य के मामले में मुस्लिम समुदाय के लोगों को हज यात्रा के लिए सबसिडी देने में होने वाले खर्च पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को निर्देश दिया था कि हर वर्ष हज सबसिडी को कम करें और 10 साल में इसे पूरी तरह खत्म कर दें। इससे पहले हुई सुनवाई पर एक्टिंग चीफ जस्टिस पर आधारित बैंच ने पंजाब सरकार को फटकार लगाते हुए कहा था कि एक ओर युवा रोजगार को तरस रहे हैं और दूसरी ओर मुफ्त तीर्थ यात्रा की यह स्कीम लाकर करोड़ों खर्च किया जा रहा है, कोर्ट ने इस संबंध में सरकार को स्पष्टीकरण देने के आदेश दिए थे।
हाईकोर्ट के नोटिस पर जवाब देते हुए पंजाब सरकार ने बताया कि अभी तक इस योजना के तहत 34,850 श्रद्धालुओं को यात्रा करवाई जा चुकी है। यह योजना राज्य के नागरिकों के अनुरोध पर ही आरंभ की गई थी, क्योंकि सभी इतने संपन्न नहीं हैं, जो तीर्थ यात्रा कर सकें। साथ ही यह राज्य का नीतिगत निर्णय है, जिसे कानून बनाने वाले सदन ने लिया है। सरकार की ओर से जवाब दाखिल करने के बाद कोर्ट ने मामले की सुनवाई स्थगित कर दी है।