Ramgarh Crater : जहां 60 करोड़ वर्ष पहले गिरा था उल्कापिंड, मिनी खजुराहो के भी होते हैं दर्शन

punjabkesari.in Tuesday, Apr 23, 2024 - 08:00 AM (IST)

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Ramgarh Crater history: राजस्थान के बारां जिले में स्थित रामगढ़ क्रेटर 60 करोड़ वर्ष पुराना माना जाता है। यह उल्कापिंड से बना देश का तीसरा और राज्य का पहला क्रेटर है। इसके अलावा महाराष्ट्र में लोनार और मध्य प्रदेश में ढाला क्रेटर हैं। जिला मुख्यालय से 40 किलोमीटर दूर स्थित रामगढ़ क्रेटर इलाके को विश्व में पहचान दिलाएगा क्योंकि भारतीय भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण के परामर्श पर रामगढ़ क्रेटर को राज्य सरकार ने हाल ही में आधिकारिक रूप से भारत की पहली जियो हैरिटेज साइट (अधिसूचित भू-विरासत स्थल) घोषित किया है। इससे इको टूरिज्म और वाइल्ड लाइफ टूरिज्म को बढ़ावा मिलेगा।

अब इस जगह को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के प्रयासों में तेजी आएगी। अधिकारियों ने कहा कि योजना के लागू होने के बाद राजस्थान पर्यटन विभाग को हर साल 30 से 40 हजार पर्यटकों के आने की उम्मीद है। यहां मौजूद झील का सौंदर्यीकरण, बुनियादी ढांचे के विकास और साइट के आसपास अन्य सजावटी कार्य किए जा रहे हैं।

पर्यटन विभाग यहां शानदार सड़क, एक सूचना केंद्र, एक नॉलेज केंद्र और एक कैफेटेरिया तैयार कर रहा है। इसके अलावा गार्डन और ग्रीन एरिया, एक घाट का निर्माण, एक प्रवेश द्वार और साइन बोर्ड, के साथ ही ड्रिप सिंचाई का काम प्रस्तावित है।

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Forest Department has declared Ramgarh area as a reserve area वन विभाग ने रामगढ़ क्षेत्र को घोषित किया है रिजर्व एरिया
यह स्थल भू-विज्ञान, पुरातत्व और इतिहास के प्रतीक के रूप में है। वन विभाग द्वारा रामगढ़ क्षेत्र को रिजर्व एरिया घोषित किया गया है। इस क्षेत्र के विकास के लिए पर्यटन, वन विभाग और लोक निर्माण विभाग मिलकर काम कर रहे हैं।

The crater was discovered in 1869 but it took time to be identified 1869 में खोजा गया था क्रेटर लेकिन पहचान मिलने में लगा वक्त
द सोसाइटी ऑफ अर्थ साइंटिस्ट्स के महासचिव सतीश त्रिपाठी ने बताया कि बारां जिले की मांगरोल तहसील से 12 किलोमीटर दूर यह क्रेटर साल 1869 में खोजा गया था। माना जाता है कि 3.5 किलोमीटर व्यास वाले इस क्रेटर का निर्माण 60 करोड़ साल पहले अंतरिक्ष से एक उल्कापिंड के गिरने के कारण हुआ था।

सबसे पहले 1972 में इस संरचना के उल्कापिंड प्रसूत होने की सम्भावना व्यक्त की गई थी। वैज्ञानिक साक्ष्य नहीं होने से इस अवधारणा को विज्ञान जगत में स्वीकृति नहीं मिली। गत शताब्दी के अंत तक भू-वैज्ञानिक इसे गुंबद संरचना मानते रहे जिसकी उत्पत्ति पृथ्वी के भीतर हो रही टैक्टोनिक हलचल संबंधी आंतरिक दबाब या मैग्मा ऊपर बढ़ने से मानी गई।

जयपुर के भू-वैज्ञानिक और रिटायर्ड प्रोफैसर एम.के. पंडित ने 1999 में दक्षिण अफ्रीका के साइंटिस्ट शरद मास्टर के साथ रामगढ़ क्षेत्र का विस्तृत भू-वैज्ञानिक आकलन किया और चट्टानों के नमूने इकट्ठे किए। पाया गया कि पहाड़ी की ऊपरी ढलान निचले हिस्से की अपेक्षा ज्यादा खड़ी है।

विशाल मैदानी क्षेत्र में लगभग 3 किलोमीटर व्यास की यह गोलाकार पहाड़ी एकमात्र भू-आकारिकी संरचना कौतूहल बनी। इस शोध को भी अंतर्राष्ट्रीय मान्यता मिली।

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It has been recognized as the 200th crater of geo-heritage भू-विरासत के 200वें क्रेटर के रूप में मिली है इसे मान्यता
रामगढ़ क्रेटर को 3 साल पहले विश्व भू-विरासत के 200वें क्रेटर के रूप में मान्यता दी गई थी। इसे यह मान्यता विश्व के क्रेटरों को मान्यता देनी वाली अंतर्राष्ट्रीय संस्था ‘अर्थ इम्पैक्ट डाटा बेस सोसाइटी ऑफ कनाडा’ ने दी थी।

सतीश त्रिपाठी ने कहा कि वैज्ञानिक रूप से यहां एक उल्कापिंड गिरा था। क्रेटर में कांच से युक्त पत्थर पाया जाता है क्योंकि उल्कापिंड के प्रभाव से उत्पन्न ऊर्जा रेत को पिघला देती है, जो कांच बन जाती है।

क्रेटर में सामान्य से अधिक मात्रा में लोहा, निकल और कोबाल्ट मिला है। कई उल्कापिंडों में भी ये तत्व बड़ी मात्रा में हैं।

There is a 10th century Khajuraho style temple in this area इसी इलाके में है खजुराहो शैली का 10वीं शताब्दी का मंदिर
खजुराहो शैली का 10वीं शताब्दी का शिव मंदिर रामगढ़ क्रेटर की परिधि में ही स्थित है। इसे भांड देवरा मंदिर कहते हैं लेकिन इसे ‘मिनी खजुराहो’ के नाम से भी जाना जाता है। क्रेटर की संरचना में दो झीलें हैं, जिनमें प्रवासी पक्षी आते रहते हैं। इलाके में 950 साल पुराना एक देवी मंदिर भी है। एक पहाड़ी पर बने इस मंदिर तक जाने के लिए 500 से ज्यादा सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं। इसके साथ ही यहां कई अन्य प्राचीन मंदिर और केलपुरी समाधि स्थल भी है। इलाके में चीतल, हिरण, जंगली सूअर सहित कई जानवर भी पाए जाते हैं।

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Content Writer

Niyati Bhandari

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