पिता-पुत्र के बीच की दूरियों को बढ़ाती हैं ये बातें

punjabkesari.in Thursday, Jan 18, 2018 - 04:56 PM (IST)

वास्तु व्यक्ति के जीवन में एक महत्वपूर्ण रोल रखता है। फिर चाहे वो काम से संबंधित हो या घर से। इसका अच्छा-बुरा प्रभाव व्यक्ति के जीवन पर बना रहता है। परंतु यही वास्तु रिश्तों को बनाने-संवारने में भी अहमियत रखता है, इसके बारें में शायद ही किसी को जानकारी होगी। अगर वास्तु के कुछ उपायों को अपनाया जाए तो रिश्तों में आ रही कड़वाहट को खत्म किया जा सकता है। खासकर अगर बात पिता-पुत्र के रिश्ते की हो तो वास्तु की इन बातों को ध्यान में रखने से रिश्तों में आ रही दूरी को दूर किया जा सकता है। आईए जानें इस जुड़ी संबंधित बातें-

 

घर का ईशान कोण यानी उत्तर-पूर्वी कोना खंडित होने से पिता-पुत्र में आपसी मामलों को लेकर हमेशा झगड़े होते हैं। इसलिए, घर के उत्तर-पूर्वी कोने को हमेशा ठीक रखना चाहिए।

 

ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) में स्टोर रूम, टीले या पर्वत के समान आकृति के निर्माण से भी पिता-पुत्र के संबंधों में परेशानियां आती हैं और दोनों में अविश्वास बना रहता है। इसलिए ध्यान रखें कि घर के उत्तर-पूर्वी कोने में स्टोर रूम आदि न बनवाएं।

 

उत्तर-पूर्व दिशा में रसोई घर या शौचालय का होना भी घर के लोगों के संबंधों को प्रभावित करता है। साथ ही स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं बनी रहती हैं। घर की उत्तर-पूर्व दिशा में रसोई घर या शौचालय नहीं होना चाहिए।

 

इलेक्ट्रॉनिक सामान, ज्वलनशील पदार्थ या गर्मी उत्पन्न करने वाले अन्य उपकरणों को ईशान (उत्तर-पूर्व) में रखने से पुत्र पिता की आज्ञा नहीं मानता है और घर-परिवार को अपमानित करता है। घर की उत्तर-पूर्वी दिशा में इन चीजों को नहीं रखना चाहिए।

 

यदि कोई प्लाट उत्तर व दक्षिण में संकरा तथा पूर्व व पश्चिम में लंबा है तो ऐसी जगह को सूर्यभेदी कहते हैं, ऐसी जगह पर पिता-पुत्र के संबंधों में अनबन की स्थिति हमेशा रहती है। ऐसी जगह पर कभी घर नहीं बनाना चाहिए।

 

झगड़ों से मुक्ति हेतु सदैव घर को साफ-सुथरा रखें। वास्तु के अनुसार घर के उत्तर-पूर्व दिशा को साफ-सुथरा रखना अति आवश्यक माना जाता है। इससे घर में सुख-शांति का माहौल बना रहता है। 


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