भक्त के बुलावे पर चली आई थी मां दुर्गा, दर्शन के बिना अधूरी रहती है पूजा

punjabkesari.in Saturday, Feb 04, 2017 - 09:53 AM (IST)

बिहार के गोपालगंज जिले से सीवान जाने के मार्ग पर थावे नामक स्थान है। यहां पर देवी दुर्गा के ही एक स्वरूप माता थावेवाली का एक प्राचीन मंदिर स्थित है। माता थावेवाली को सिंहासिनी भवानी, थावे भवानी और रहषु भवानी के नाम से भी जाना जाता है। माना जाता है कि देवी दुर्गा कामाख्या से चलकर कोलकाता और पटना के रास्ते यहां पहुंची थी। इस मंदिर के पीछे एक कथा प्रचलित है। कहा जाता है कि हथुआ के राजा मनन सिंह स्वयं को मां दुर्गा का सबसे बड़ा भक्त मानते थे। वे अपने सामने किसी को भी मां का भक्त मानने से इंकार करते थे। एक बार उनके राज्य में अकाल पड़ गया अौर लोग दाने-दाने के लिए तरसने लगे। उन दिनों थावे में रहषु नामक देवी कामाख्या का एक भक्त रहता था। कहा जाता है कि रहषु दिन में घास काटता था अौर रात को उस घास में से अन्न निकल जाता था। जिससे वहां के लोगों को अन्न मिलने लगा। लेकिन राजा इस बात पर विश्वास नहीं करता था। 

 

एक बार राजा ने रहषु को ढोंगी बताकर मां को बुलाने के लिए कहा। रहषु ने राजा से कहा कि यदि माता यहां आएगी तो ये राज्य बर्बाद हो जाएगा। लेकिन राजा अपने हठ पर अड़ा रहा। विवश होकर रहषु ने प्रार्थना कर मां से वहां आकर दर्शन देने के लिए स्तुति की। भक्त के बुलावे पर देवी कोलकता, पटना और आमी होते हुए थावे पहुंची। माता के वहां पहुंचते ही सारे भवन गिर गए अौर राजा की मृत्यु हो गई। जहां पर माता ने दर्शन दिए वहां पर आज एक भव्य मंदिर है। जिसे माता थावेवाली के नाम से प्रसिद्ध है। वहां से थोड़ी दूरी पर रहषु का मंदिर भी है। माना जाता है कि जो भक्त माता थाने वाली के दर्शन के लिए आते हैं वे रहषु के भी दर्शन अवश्य करते हैं। इसके बिना भक्तों की पूजा अधूरी मानी जाती है। इस मंदिर के नजदीक राजा मनन सिंह के भवनों के खंडहर आज भी मौजूद है। 

 

यहां मां के भक्त प्रसाद के रूप में नारियल, पेड़ा और चुनरी चढ़ाते हैं। मां के मंदिर का गर्भगृह काफी पुराना है। नवरात्र के सप्तमी की रात को मां दुर्गा की विशेष पूजा की जाती है। इस दिन मंदिर में भक्त बड़ी संख्या में पहुंचते हैं। बिहार, उत्तर प्रदेश के अलावा यहां नेपाल के श्रद्धालु भी बड़ी संख्या में मां के दर्शन के लिए आते हैं।


 


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