Swami Vivekananda Punyatithi: जब स्वामी विवेकानंद के गुरु को हुआ सच्चा प्रेम, पढ़ें कथा

punjabkesari.in Monday, Jul 04, 2022 - 08:06 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Swami Vivekananda Punyatithi: स्वामी रामकृष्ण परमहंस अपने शिष्य विवेकानंद के प्रति बहुत अनुराग रखते थे। जब कई दिनों तक वह नहीं आते तो स्वामी जी खुद उन्हें बुलवा लेते थे। विवेकानंद नहीं चाहते थे कि स्वामी जी उनके साथ इतना ज्यादा जुड़ जाएं कि फिर उन्हें ईश्वर की साधना में बाधा आए और उनके हृदय को कष्ट पहुंचे।

PunjabKesari Swami Vivekananda story

वह उन्हें समझाने की तरकीब सोचने लगे। एक बार उन्होंने स्वामी जी से नाराजगी दिखाते हुए कहा, ‘‘आप मेरे लिए इतना स्नेह क्यों करते हो? आप जैसे महान पुरुष के लिए यह ठीक नहीं है।’’ 

स्वामी रामकृष्ण उनकी बात सुनते रहे। उन्होंने कहा, ‘‘आपको राजा भरत का दृष्टांत तो याद ही होगा। राजा भरत दिन-रात अपने पाले गए हिरण के बारे में सोचते रहते थे। परिणति यह हुई कि वह भी मृत्यु के पश्चात हिरण की गति को ही प्राप्त हुए। आपको भी मेरे बारे में इतना नहीं सोचना चाहिए।’’ 

PunjabKesari Swami Vivekananda story

1100  रुपए मूल्य की जन्म कुंडली मुफ्त में पाएं । अपनी जन्म तिथि अपने नाम , जन्म के समय और जन्म के स्थान के साथ हमें 96189-89025 पर वाट्स ऐप करें

विवेकानंद की बात सुन कर स्वामी जी दुखी हो गए और मंदिर के भीतर चले गए। कुछ क्षणों के पश्चात वह हंसते हुए लौटे और उनसे बोले, ‘‘मैं तेरी कोई बात नहीं मानूंगा। मैंने भीतर जाकर देवी मां को तेरी बात बताई तो मां ने कहा कि तू विवेकानंद में नारायण को देखता है इसलिए तो उससे इतना स्नेह है। तू उसको नहीं, उसके भीतर के नारायण को प्यार करता है।’’

विवेकानंद उनके प्रेम से भाव-विभोर हो गए। सच्चा गुरु ही शिष्य को पहचान सकता है। सच्चा प्रेम नारायण के समान होता है, उसमें स्वार्थ नहीं होता है। सच्चा प्रेमी हर नर में नारायण देखता है। 

PunjabKesari kundli

 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Niyati Bhandari

Recommended News

Related News