Mangla gauri vrat katha: अखंड सौभाग्य और मनचाहे वर के लिए पढ़ें मंगलागौरी व्रत कथा
punjabkesari.in Tuesday, Jul 15, 2025 - 06:32 AM (IST)

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Mangla Gauri Vrat Katha 2025: माता गौरी कुंवारी कन्याओं के विवाह में आ रही बाधाओं को दूर करती हैं, वैवाहिक जीवन में खुशहाली, पुत्र प्राप्ति, पति/पुत्र की लम्बी आयु व अन्य सुखों से परिपूर्ण करती हैं। सुहागन अथवा कुंवारी कन्या को मंगलागौरी व्रत का प्रारंभ करने के पश्चात लगातार 5 वर्षों तक इसे करना होता है। तत्पश्चात इस व्रत का विधि-विधान से उद्यापन कर देना चाहिए। इस रोज व्रत रख कर श्रावण माहात्म्य, शिव महापुराण तथा शिवस्तोत्रों का पाठ करना चाहिए। पाठ के बाद शिवलिंग पर दूध, गंगा जल, बिल्व पत्र, फलादि सहित शिवलिंग का पूजन करना चाहिए। ‘ओम् नम: शिवाय’ की माला का जाप करें। इस दिन गौरी जी की पूजा करनी चाहिए। गणेश जी की पूजा-अर्चना के बाद गौरी जी की मूर्ति पर चंदन, सिंदूर, हल्दी,चावल, मेहंदी, काजल, पुष्प चढ़ाएं। इसके अलावा 16 की संख्या में माला, आटे के लड्डू, फल, पान, सुपारी, लौंग, इलायची, सुहाग सामग्री अर्पित करें। इसके बाद गौरी माता की कथा पढ़ें।
Mangla gauri vrat katha: मंगलागौरी व्रत कथा- एक पौराणिक कथा अनुसार, एक समय कुरु देश में श्रुतिकीर्ति नामक एक बहुत ही प्रसिद्ध राजा रहता था। वह बहुत ही दयावान, दयालु और अनेक कलाओं में निपुण था। उस के राज्य में समस्त प्रजा बहुत सुखी थी परन्तु राजा बहुत ही दुखी और परेशान था क्योंकि उसके कोई पुत्र संतान नहीं था। पुत्र प्राप्ति के लिए राजा ने कई तप-जप और अनुष्ठान किए, जिस से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने राजा को एक पुत्र वरदान स्वरूप दिया लेकिन उस का जन्म के साथ उसके मरण की भी भविष्यवाणी कर दी की तुम्हारा पुत्र सोलह वर्ष तक ही जीवित रहेगा।
भगवान शिव के आशीर्वाद से समयानुसार रानी ने एक पुत्र को जन्म दिया। जिस का नाम चिरायु रखा गया। जैसे-जैसे चिरायु बड़ा होने लगा राजा और रानी को अपने पुत्र की अकाल मृत्यु की चिंता सताने लगी। राजा ने अपने राज्य के विद्वानों को बुला कर अपनी चिंता बताई। विद्वानों के सुझाव अनुसार राजा ने चिरायु का विवाह एक ऐसी कन्या से कर दिया जो मंगला गौरी का व्रत करती थी। मंगला गौरी के व्रत के आशीर्वाद से उस कन्या का सौभाग्य अखंड हुआ और लम्बी आयु वाले वर की प्राप्ति हुई। इस प्रकार राजा ने अपने पुत्र के जीवन की रक्षा की।
Mangala Gauri Vrat Mantra मंगला गौरी व्रत मंत्र- ओम् हीं मन वांछित वरम देहि वरम देहि हिरीम ओम गौरा पार्वती नम:
ओम देहि सौभाग्यम, आरोगयम् देहि मम परम सुखम, रुपम देहि जयम देहि यशो देहि दिशो जहि!