स्वामी प्रभुपाद: श्रीमद्भगवद्गीता यथारूप ‘कर्म’ को जानिए

punjabkesari.in Sunday, Jan 29, 2023 - 09:09 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

स्वामी प्रभुपाद: साक्षात स्पष्ट ज्ञान का उदाहरण भगवद्गीता

कर्मणो ह्यपि बोद्धव्यं बोद्धव्यं  च विकर्मण:। अकर्मणश्च बोद्धव्यं गहना कर्मणो गति:।।17।।

PunjabKesari swami prabhupada

अनुवाद एवं तात्पर्य : कर्म की बारीकियों को समझना अत्यंत कठिन है। अत: मनुष्य को चाहिए कि वह यह ठीक से जाने कि कर्म क्या है, विकर्म क्या है और अकर्म क्या है।

1100  रुपए मूल्य की जन्म कुंडली मुफ्त में पाएं। अपनी जन्म तिथि अपने नाम, जन्म के समय और जन्म के स्थान के साथ हमें 96189-89025 पर व्हाट्सएप करें

यदि कोई सचमुच ही भवबंधन से मुक्ति चाहता है तो उसे कर्म, अकर्म तथा विकर्म के अंतर को समझना होगा। कर्म, अकर्म तथा विकर्म के विश्लेषण की आवश्यकता है, क्योंकि यह अत्यंत गहन विषय है।

PunjabKesari swami prabhupada

कृष्णभावनामृत तथा गुणों के अनुसार कर्म को समझने के लिए परमेश्वर के साथ अपने संबंध को जानना होगा। दूसरे शब्दों में जिसने यह भलीभांति समझ लिया है, वह जानता है कि जीवात्मा भगवान का नित्य दास है और फलस्वरूप उसे कृष्णभावनामृत में कार्य करना है। सम्पूर्ण भगवद्गीता का यही लक्ष्य है।

PunjabKesari swami prabhupada

इस भावनामृत के विरुद्ध सारे निष्कर्ष एवं परिणाम विकर्म या निषिद्ध कर्म हैं। इसे समझने के लिए मनुष्य को कृष्णभावनामृत के अधिकारियों की संगति करनी होती है और उनसे रहस्य को समझना होता है।

यह साक्षात भगवान से समझने के समान है। अन्यथा बुद्धिमान से बुद्धिमान मनुष्य भी मोहग्रस्त हो जाएगा।

PunjabKesari kundli


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Niyati Bhandari

Recommended News

Related News