OMG! तो ये है हनुमान जी की फौलादी ताकत का राज़

punjabkesari.in Monday, May 28, 2018 - 08:45 AM (IST)

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रावण पर विजय प्राप्त करके जब श्रीराम पुष्पक विमान पर सवार होकर आकाश मार्ग से लौटने लगे तो कांचनगिरि के पास हनुमान जी ने कहा, ‘‘महाराज! मेरी माता अंजना यहां पर्वत पर रहती हैं। आप मेरी माता को दर्शन देते तो बहुत कृपा होती।’’
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श्रीराम भक्तराज हनुमान की इच्छा का सम्मान करते हुए पुष्पक विमान से पर्वत पर उतरे और मां अंजना के समक्ष पहुंचे। मां अंजना को जब पता लगा कि रावण से सीता को छुड़ाने के लिए हनुमान के रहते श्रीराम को परिश्रम करना पड़ा तो वह तिलमिला गई। उन्होंने कहा, ‘‘अरे हनुमन्त! तुमने मेरे दूध को लज्जित कर दिया। मैंने तुम्हें अपना दूध पिलाया है और तूने मेरे दूध को नीचा दिखा दिया? तुम्हारे रहते हुए राम को कष्ट सहना पड़ा।’’
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जब वह बार-बार अपने दूध की दुहाइयां देने लगीं तो अन्य रीछ वानरों को और लक्ष्मण जी को भी नागवार गुजरा कि यह कैसी मां है, जो अन्य कुछ न कह कर बार-बार अपने दूध की दुहाइयां दे रही हैं।
 
अंतत: श्रीराम उन सबके भावों को समझकर बोले, ‘‘हनुमान में शक्ति है तो उसकी अपनी शक्ति है, इसमें आपके दूध की क्या भूमिका है?’’
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मां अंजना तमतमा गई। उन्होंने कहा, ‘‘अगर हनुमान ने मेरा दूध न पिया होता तो इसके शरीर में फौलादी ताकत नहीं होती। अगर मैंने अपने दूध के साथ बल और विवेक की घुट्टी नहीं पिलाई होती तो हनुमान हनुमान जैसा नहीं होकर एक साधारण वानर होता।’’

लोगों ने पूछा, ‘‘इसका कोई सबूत?’’ 
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माता अंजना मुस्कराई। एक पत्थर के पास जाकर उन्होंने अपनी दुग्धधारा पत्थर पर छोड़ी और पत्थर चटक कर टुकड़े-टुकड़े हो गया। लोग चकित रह गए। दूध में इतनी शक्ति। सभी अंजना को घेर लिए और पूछने लगे, ‘‘मां! इसका तात्पर्य क्या हुआ? आपके दूध से हनुमान में इतना बल, इतना ओज, इतना विवेक कैसे आ गया?’’

माता अंजना ने कहा, ‘‘बच्चों की नींव मां के दूध से शुरू होती है। मां जैसे विचार और भाव से बच्चों को दुग्ध पान कराती है, उसका अचूक प्रभाव बच्चे पर पड़ता है।’’
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Niyati Bhandari

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