श्रीमद्भगवद्गीता: इंद्रियों पर काबू पाने वाले व्यक्ति की बुद्धि होती है स्थिर

punjabkesari.in Sunday, Nov 14, 2021 - 04:44 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
श्रीमद्भगवद्गीता
यथारूप
व्या याकार :
स्वामी प्रभुपाद
साक्षात स्पष्ट ज्ञान का उदाहरण भगवद्गीता 

श्रीमद्भगवद्गीता श्लोक-
तस्माद्यस्य महाबाहो निगृहीतानि सर्वश:।
इन्द्रियाणीन्द्रियार्थेभ्यस्तस्य प्रज्ञा प्रतिष्ठिता।।

अनुवाद एवं तात्पर्य : अत: हे महाबाहु! जिस पुरुष की इंद्रियां अपने-अपने विषयों से सब प्रकार से विरत होकर उसके वश में हैं, उसी की बुद्धि नि:संदेह स्थिर है। कृष्णभावनामृत के द्वारा या सारी इंद्रियों को भगवान की दिव्य प्रेमा भक्ति में लगा कर इंद्रिय तृप्ति की बलवती शक्तियों को दमित किया जा सकता है। जिस प्रकार शत्रुओं का दमन श्रेष्ठ सेना द्वारा किया जाता है, उसी प्रकार इंद्रियों का दमन किसी मानवीय प्रयास के द्वारा नहीं अपितु उन्हें भगवान की सेवा में लगाए रख कर किया जा सकता है। जो व्यक्ति यह हृदयगम कर लेता है कि कृष्णभावनामृत द्वारा बुद्धि स्थिर होती है और इस कला का अभ्यास प्रामाणिक गुरु के पथ प्रदर्शन में करता है, वह साधक अथवा मोक्ष का अधिकारी कहलाता है।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Jyoti

Recommended News

Related News