Srimad Bhagavad Gita: श्री कृष्ण मनुष्य के सामने आने वाली दैनिक समस्याओं के बारे में कहते हैं...

punjabkesari.in Friday, Jul 14, 2023 - 09:10 AM (IST)

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Srimad Bhagavad Gita: भगवद् गीता दो स्तरों का एक सुसंगत सम्मिश्रण है और हमें गीता को समझने के लिए इसके बारे में जागरूक होने की आवश्यकता है। कभी-कभी श्री कृष्ण मित्र या मार्गदर्शक के रूप में अर्जुन से व्यवहार करके मनुष्यों के सामने आने वाली दैनिक समस्याओं को समझाते हैं। कभी वह परमात्मा के रूप में आते हैं और उस अवस्था में कहते हैं (4.1) कि मैंने यह अविनाशी योग ‘विवस्वत’ को दिया था, जो उत्तराधिकार में राज-ऋषियों को सौंप दिया गया था और इसकी दृष्टि समय के साथ लुप्त हो गई थी (4.2)।

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‘विवस्वत’ का अभिप्राय सूर्य भगवान से है, जो प्रकाश का एक रूपक हैं और श्री कृष्ण संकेत कर रहे हैं कि वह प्रकाश से पहले थे। यह स्वीकार किया जाता है कि इस ब्रह्मांड की शुरुआत प्रकाश से हुई और बाद में पदार्थ का निर्माण हुआ।

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भगवान श्री कृष्ण राज-ऋषियों को संदर्भित करते हैं, जो समय के विभिन्न बिंदुओं पर प्रबुद्ध लोगों के अलावा और कुछ नहीं हैं। यह ज्ञान लुप्त हो गया क्योंकि समय के साथ यह एक अनुभवात्मक स्तर से कर्मकांड में बदल गया; अभ्यास कम और उपदेश अधिक हो गया, इसने धर्मों और सम्प्रदायों का आकार ले लिया।

अर्जुन प्रश्न करते हैं (4.4) कि श्री कृष्ण ने सूर्य को यह कैसे सिखाया क्योंकि उनका जन्म हाल ही में हुआ है। श्री कृष्ण जवाब देते हैं (4.5) कि मेरे और आपके कई जन्म हुए और आप उनके बारे में नहीं जानते, जबकि मैं जानता हूं।
 
अर्जुन का यह प्रश्न मानवीय स्तर पर बहुत स्वाभाविक और तार्किक है। इस स्तर पर हम जन्म और मृत्यु का अनुभव करने के लिए समय के नियंत्रण में रहते हैं। जन्म से पहले और मृत्यु के बाद क्या था, इसके बारे में हमें कोई जानकारी नहीं है।

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श्री कृष्ण का उत्तर परमात्मा के स्तर पर है जो समय से परे है। इससे पहले, श्री कृष्ण ने आत्मा के बारे में समझाया था, जो शाश्वत है और भौतिक शरीरों को बदल देती है, जैसे हम पुराने कपड़ों को त्याग देते हैं।
 
जो कोई भी उस शाश्वत अवस्था तक पहुंच जाता है, वह समय से परे है। उदहारण के लिए, एक फूल को अपनी खिलने की शक्ति का पता नहीं होता, जबकि यह शक्ति पहले भी थी और फूल के जीवन के बाद भी रहेगी।

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Content Writer

Niyati Bhandari

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