Moral Story: एक लंगूर ने सिखाया शरणागत की रक्षा का असली अर्थ, मनुष्य निकला विश्वासघाती
punjabkesari.in Friday, Dec 12, 2025 - 11:10 AM (IST)
Moral Story: आदिमकाल से ही जानवर मनुष्य के साथी हैं तथा उसको कृषि, यातायात आदि में सहायता देते और स्वास्थ्यवर्धक दूध प्रदान करते हैं लेकिन मनुष्य ने पशुओं के साथ अपनी मित्रता नहीं निभाई। एक छोटी-सी कहानी है।

एक बार एक शिकारी एक जंगल में हिरण का शिकार करने गया। उसके पास एक बंदूक थी। बहुत देर तक खोजने पर उसे एक हिरण नजर आया। वह उसके पीछे तेजी से भागा। इतने में उसने देखा कि बाईं तरफ से एक चीता उसी की तरफ दौड़ा आ रहा है। चीते को देखते ही शिकारी के होश उड़ गए और बंदूक उसके हाथ से गिर गई। वह अपनी पूर्ण शक्ति के साथ जान बचाने के लिए सामने की तरफ भागा। इतने में एक बहुत बड़ा पेड़ सामने देखा। मरता क्या न करता? शिकारी किसी तरह उछलकर उस पेड़ पर चढ़ गया। वह चीता भी उस आदमी का पीछा करते-करते वहीं पर आ गया और उस पेड़ के नीचे चक्कर लगाने लगा।

शिकारी ने पेड़ की डाली बड़े जोर से पकड़ ली। इतने में उसकी नजर पेड़ के ऊपर गई तो देखा कि ऊपर की डाली पर एक भयंकर लंगूर बैठा हुआ है। उसे देखते ही वह आदमी परेशान हो गया पर वह लंगूर बोला, ‘‘तुम परेशान मत होओ। मैं तुम्हारा कोई नुकसान नहीं करूंगा वरन् मैं तुम्हारी रक्षा करूंगा।’’
वह आदमी थोड़ा आश्वस्त हो गया। थोड़ी देर में उसे नींद आने लगी। तब वह चीता लंगूर से बोला, ‘‘मैं और तुम तो जंगल के प्राणी हैं, साथ-साथ रहने वाले हैं। यह आदमी शहर का रहने वाला है, हमारे यहां दखल देने तथा हम जानवरों को मारने यहां आया है। अत: तुम इसे नीचे गिरा दो। मैं इसे मारकर अपनी क्षुधा की पूर्ति करूंगा तथा यहां से चला जाऊंगा।’’
लेकिन लंगूर ने उत्तर दिया, ‘‘नहीं, मैं इसे नीचे नहीं गिराऊंगा। मैं शरणागत के साथ विश्वासघात नहीं करूंगा।’’

थोड़ी देर में वह आदमी जाग गया। तब वह चीता आदमी से बोला, ‘‘तुम इस लंगूर की पूंछ पकड़कर इसे नीचे गिरा दो। मैं इसे मार कर खा जाऊंगा तथा तुम्हें छोड़ दूंगा।’’
आदमी को यह बात जंच गई। उसने उस लंगूर की पूंछ पकड़कर उसे गिराने का प्रयत्न किया पर वास्तव में बंदर सो नहीं रहा था, जगा हुआ था। वह बच गया।
तब उस चीते ने उस लंगूर से कहा, ‘‘देखा, यह आदमी कितना कमीना है। तुम इसकी रक्षा कर रहे हो, पर यह तुम्हें ही गिराकर मरवाने को तैयार है। अब तुम इसे शीघ्र नीचे गिरा दो।’’
पर लंगूर बोला, ‘‘नहीं मैं ऐसा नहीं कर सकता। आदमी अपना धर्म छोड़ सकता है, पर मैं अपना धर्म (शरणागत की रक्षा करना) नहीं छोड़ूंगा।’’
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Content Writer
Niyati Bhandari