Srimad Bhagavad Gita: श्री कृष्ण से जानें क्या है मुक्ति का मार्ग

punjabkesari.in Sunday, Nov 27, 2022 - 01:39 PM (IST)

 शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

जन्म कर्म च मे दिव्यमेवं यो वेत्ति तत्वत:।
त्यक्त्वा देहं पुनर्जन्म नैति मामेति सोऽर्जुन।।

अनुवाद  एवं तात्पर्य : हे अर्जुन! जो मेरे आविर्भाव तथा कर्मों की दिव्य प्रकृति को जानता है, वह इस शरीर को छोडऩे पर इस भौतिक संसार में पुन: जन्म नहीं लेता, अपितु मेरे सनातन धाम को प्राप्त होता है।

PunjabKesari Srimad Bhagavad Gita

1100  रुपए मूल्य की जन्म कुंडली मुफ्त में पाएं। अपनी जन्म तिथि अपने नाम, जन्म के समय और जन्म के स्थान के साथ हमें 96189-89025 पर व्हाट्सएप करें

छठे श्लोक में भगवान के दिव्यधाम से उनके अवतरण की व्याख्या हो चुकी है। जो मनुष्य भगवान के आविर्भाव के सत्य को समझ लेता है वह इस भवबंधन से मुक्त हो जाता है और इस शरीर को छोड़ते ही वह तुरंत भगवान के धाम को लौट जाता है। भवबंधन के जीव की ऐसी मुक्ति सरल नहीं है। योगीजन पर्याप्त कष्ट तथा जन्म जन्मांतर के बाद ही मुक्ति प्राप्त कर पाते हैं। इतने पर भी उन्हें जो मुक्ति भगवान की निराकार ब्रह्मज्योति में तादात्म्य प्राप्त करने के रूप में होती है, वह आंशिक होती है और इस भौतिक संसार में लौट आने का भय बना रहता है। 

PunjabKesari Srimad Bhagavad Gita

किन्तु भगवान के शरीर की दिव्य प्रकृति तथा उनके कार्यकलापों को समझने मात्र से भक्त इस शरीर की दिव्य प्रकृति तथा उनके कार्यकलापों को समझने मात्र से इस शरीर का अंत होने पर भगवद्धाम को प्राप्त करता है और उसे इस संसार में लौट कर आने का भय नहीं रह जाता। ब्रह्मसंहिता में यह बताया गया है कि भगवान के अनेक रूप तथा अवतार हैं : अद्वैतमच्युतमनादिमनन्तरूपम्। 

PunjabKesari Srimad Bhagavad Gita

यद्यपि भगवान के अनेक दिव्य रूप हैं किन्तु फिर भी वे अद्वय भगवान हैं। इस तथ्य को विश्वासपूर्वक समझना चाहिए, यद्यपि यह संसारी विद्वानों तथा ज्ञानयोगियों के लिए अगम्य है। श्री भगवान को जान लेने से ही मनुष्य जन्म तथा मृत्यु से मुक्ति की पूर्ण अवस्था प्राप्त कर सकता है।

PunjabKesari kundli

 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Niyati Bhandari

Recommended News

Related News