गुरुदेव श्री श्री रविशंकर: प्रेम, घृणा और उदासीनता का ज्ञान
punjabkesari.in Monday, Oct 30, 2023 - 08:33 AM (IST)

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Gurudev Sri Sri Ravi Shankar: दुनिया में और आध्यात्मिक तत्वों में प्रेम का पोषण किया जाता है। बातों को इस प्रकार स्वीकार करना सिखाया जाता है कि आप प्रेम की दिशा में चल सको और जो प्रेम का विरोध करते हैं। ऐसे लोगों के प्रति उदासीन रहो क्योंकि जीवन विरोधात्मक प्रवृत्तियों से परिपूर्ण है। जीवन में दोनों प्रकार की घटनाएं होती रहती हैं। ऐसे लोग जो घृणा का समर्थन करते हैं और प्रेम को समाप्त करते हैं। ऐसे लोग जो प्रेम का समर्थन करते हुए घृणा को समाप्त करते हैं क्योंकि जीवन विरोधात्मक मूल्यों से भरा है, जहां विभिन्न गतिविधियां होती रहती हैं। साहित्य में भी ऐसा ही है एक साहित्य किसी एक बात को प्रमाणित करता है तो दूसरा साहित्य कहता है कि यदि आप इन सब बातों को मानोगे तो आप वास्तव में भ्रमित हो जाओगे।
यदि दुनिया की गतिविधियां आप के विकास में बाधक बनती हैं तो कौशल पूर्ण व्यवहार करो। अक्सर लोग पूजा या प्रार्थना की तैयारी करते हैं परंतु यह तैयारी इतना अधिक समय खा जाती है कि जब वह वास्तव में ध्यान या प्रार्थना करने बैठते हैं। तब उनका दिमाग सारी दुनिया में घूमता रहता है और किसी छोटी बेकार बात के जाल में फंस जाते हैं। सारी तैयारियां व्यर्थ चली जाती हैं। आपका उद्देश्य बैठकर ध्यान करना है परंतु आप अपने पास बैठे किसी व्यक्ति के खर्राटों से व्यथित हो जाते हो तो सारा प्रयास बेकार हो जाता है। तब आप गुस्से में ध्यान करने बैठते हो पर ध्यान लग ही नहीं पाता। तो जब आपके रास्ते में विरोधात्मक मूल्य आए उनको सहजता से स्वीकार करो, उदासीन बनो। यदि आप ध्यान में बैठे हो और कोई आपको परेशान कर रहा हो तो उसको सरलता से स्वीकारो नहीं तो परेशान होकर अपनी आंखें बंद करके बैठने की कोई आवश्यकता नहीं हैं। जो भी बातें इसके विरोध में हो रही हों उन सब के प्रति उदासीन बन जाओ। यदि आप प्रेम में हो तो प्रेम में रहो। यदि आप प्रेम में नहीं हो तो कम से कम उदासीन बन जाओ ।
तुम्हारे साथ कोई जबरदस्ती नहीं कर सकता कि तुम उस को प्रेम करो जिसको तुम पसंद नहीं करते। पर तुम उसके प्रति उदासीनता जरूर रख सकते हो। जिनसे आप प्रेम नहीं कर सकते उन से जबरदस्ती प्रेम करने के लिए स्वयं के साथ जबरदस्ती मत करो। केवल उदासीन रहकर प्रतीक्षा करो। यह उदासीनता एक महान रहस्य है। पर तुम्हें पता है, उदासीनता लोगों को अधिक परेशान करती है, घृणा से भी अधिक। यदि तुम किसी से घृणा करते हो वह शांत रहते हैं परंतु यदि उदासीनता दिखाते हो तो वह अशांत हो जाते हैं। जहां भी किसी तरह का विवाद दिखाई देता है उदासीनता इसका समाधान है।
विवाद कभी भी प्रसन्नता नहीं देता। विवाद कभी भी शांति नहीं देता चाहे उसका समाधान हो गया हो या न हो। वहां पर शांति का कोई प्रश्न ही नहीं होता। उदासीनता में एक आशा होती है। इस प्रकार का व्यवहार करो कि आप प्रेम का समर्थन करो और उन सब बातों के प्रति उदासीन रहो जो कि प्रेम के विरोध में हों। दोबारा, प्रेम केवल कोई भावना नहीं है यह केवल भावनात्मक होना नहीं है। प्रेम एक आंतरिक शक्ति है, प्रेम वह ताकत है जो कि आप स्वयं हो। हम सभी प्यार की अभिव्यक्ति के ऊपर बहुत अधिक निर्भर रहते हैं।
यदि तुम किसी के प्रति प्रेम महसूस करने के लिए किसी व्यक्ति या संकेत के ऊपर निर्भर हो तो तुम गलती कर रहे हो। तुम पूर्णतया विकसित नहीं हुए हो। यदि तुम प्रेम को अभिव्यक्ति से ऊपर देखते हो किसी शारीरिक संकेत से बढ़कर देखते हो तब तुम देखते हो कि दूसरा कोई नहीं है। वहां कोई अंतर नहीं है, केवल एक सार्वभौमिक एकता है। उदाहरण के लिए कभी-कभी जब बच्चा चिड़चिड़ा हो जाता है तब मां उसको उसकी अभिव्यक्ति के ऊपर देखती है। तुम्हारा दिव्यता के साथ पूरे विश्व व सृष्टि के साथ संबंध है। जिसने तुमको पूर्ण बनाया है, तुमको स्थिर बनाया है, तुमको प्रेम के नशे में चूर बनाया है, तुमको भरा-पूरा व संपूर्ण बनाया है, उससे संबंध महसूस करो।