Muni Shri Tarun Sagar: सबसे बड़ा रोग, क्या कहेंगे लोग ?

punjabkesari.in Wednesday, Apr 30, 2025 - 07:20 AM (IST)

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लोग क्या कहेंगे
किसी ने पूछा, ‘‘आज का सबसे बड़ा रोग?’’ मैंने कहा, ‘‘क्या कहेंगे लोग?’’ लोग क्या कहेंगे, यह इस युग की सबसे बड़ी बीमारी है। लोग क्या कहेंगे- यह सोच कर आदमी कुछ नहीं करता। न हंसता है न रोता है।

कुछ करता है तो भी यही सोचकर कि वरना लोग क्या कहेंगे और तुम्हें पता होना चाहिए दुनिया तो यूं भी कहेगी और त्यों भी कहेगी। तुम नीचे देख कर चलोगे तो कहेगी- अब तो किसी के सामने देखता तक नहीं है। ऊपर देख कर चलोगे तो कहेगी- कैसी अकड़ में चलता है। चारों ओर देख कर चलोगे तो कहेंगे इसकी आंखों का कोई ठिकाना नहीं है।

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दुर्गति में कौन संभालेगा
आंख बंद करके बैठोगे तो कहेंगे बड़ा ध्यानी बन रहा है, बगुला-भगत। आंख फोड़ लोगे तो कहेगी- किया है तो भुगतो। दुनिया क्या कहती है- इसकी चिंता मत करो।

महावीर वाणी है-‘‘तू अपनी चिन्ता कर। दुनिया की चिन्ता करने के लिए तो दुनिया भरी पड़ी है, पर तुझे छोड़कर कोई दूसरा तेरी चिन्ता करने वाला नहीं है।’’

आदमी है कि दूसरों की चिन्ता में मरा जा रहा है। मेरे बच्चों का क्या होगा? बच्चों के बच्चों का क्या होगा? क्यों भाई? तेरे बच्चों के बच्चे क्या विकलांग पैदा होंगे ?

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जितनी भूख, उतना खाओ
तू यह चिन्ता मत कर कि मेरे बाद व्यापार को कौन संभालेगा? व्यापार तो पत्नी-बच्चे कोई भी संभाल लेगा, तू इस बात की चिन्ता कर कि दुर्गति में तुझे कौन संभालेगा।

आप आदमी हैं तो भी मेरा सुझाव है कि आप पशु की तरह भोजन करें, आदमी की तरह नहीं। बात कुछ अटपटी है लेकिन मार्मिक है। पशु भी भोजन करता है, परन्तु वह जितनी भूख होती है, उतना ही खाता है। लेकिन आदमी भोजन करने बैठता है और मनपसंद चीज सामने आती है तो खाते ही चला जाता है।

जीभ को विवेक ही नहीं है। पेट भरा हो और गर्म-गर्म पकौड़े सामने आ जाएं तो फिर खाने बैठ जाती है। खाने-पीने में विवेक रखिए। मांस-मच्छी खाकर अपने पेट को कब्रिस्तान मत बनाइए। खान-पान की शुद्धि नहीं तो खानदान की शुद्धि काम आने वाली नहीं है।  

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Content Writer

Niyati Bhandari

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