Shree Salasar Balaji Mandir: श्री हनुमान ने प्रकट होकर मूर्ति को सालासर पहुंचाने का आदेश दिया...

punjabkesari.in Monday, May 05, 2025 - 05:54 PM (IST)

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Shree Salasar Balaji Dham: सालासर बालाजी धाम हनुमानजी के 10 प्रमुख सिद्ध शक्तिपीठों में से सबसे महत्वपूर्ण स्थान है। यह विश्व में हनुमान भक्तों की असीम श्रद्धा का केंद्र है। यहां हर भक्त की हर मनोकामना पूर्ण होती हैं। सालासर हनुमान जी का मंदिर पूर्व मुखी है। जिसके आग्नेय क्षेत्र में धूनी जलती रहती है। इसके ईशान क्षेत्र में कुआं है। इस मंदिर का नैत्र्ग्य कोण क्षेत्र बंद है। श्रीबाला जी के मंदिर की पूर्व दिशा में लगभग 2 किलोमीटर पर अंजना माता का मंदिर है। शक्ति पीठ का इतिहास सन् 1754 ई. में नागौर के असोटा निवासी साखा जाट को घिटोला के खेत में हल जोतते समय एक मूर्ति मिली।

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रात को स्वप्न में श्री हनुमान ने प्रकट होकर मूर्ति को सालासर पहुंचाने का आदेश दिया। उसी रात सालासर में भक्त मोहनदास जी को भी हनुमान जी ने दर्शन देकर कहा कि असोटा ठाकुर द्वारा भेजी गई काले पत्थर की मूर्ति को टीले पर जहां बैल चलते-चलते रुक जाएं, वहीं श्री बालाजी की प्रतिमा स्थापित कर देना। वह बैलगाड़ी आज भी सालासर धाम में दक्षिण पोल पर दर्शनार्थ रखी हुई है। सालासर में स्वयं हनुमान जी स्वर्ण सिंहासन पर विराजमान हैं। इसके ऊपरी भाग में श्री राम दरबार है तथा निचले भाग में श्री राम चरणों में दाढ़ी-मूंछ से सुशोभित हनुमान श्री बाला जी के रूप में विराजमान हैं। मुख्य प्रतिमा शालिग्राम पत्थर की है जिसे गेरूए रंग और सोने से सजाया गया है। बाला जी का यह रूप अद्भुत, आकर्षक एवं प्रभावशाली है। प्रतिमा के चारों तरफ सोने से सजावट की गई है और सोने का रत्नजड़ित भव्य मुकुट चढ़ाया गया है।

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इतिहासिक जानकारी पर आधारित लोकजीवन में प्रचलित कथाओं के अनुसार हनुमान जी का जन्म विवादास्पद स्थिती में हुआ था। अतः माता अंजना व हनुमान जी को गौतम ऋषि का आश्रम छोड़ना पड़ा। हनुमान जी कभी भी केसरी राज्य के उत्तराधिकारी नहीं हो पाए। लोकमान्यता के अनुसार कुछ वर्षों के लिए माता अंजना व हनुमान जी को राजस्थान राज्य के चुरू ज़िले स्थित सालासर क्षेत्र से गुजरना पड़ा। सालासर धाम हनुमान जी का एकमात्र ऐसा स्थान है, जहां हनुमान जी के साथ माता अंजना भी विराजित हैं। लोकमान्यता के अनुसार सलारसर धाम ही एक मात्र ऐसा मंदिर है, जहां हनुमान जी के शरीर का बाल भी गिरा था।

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Content Writer

Niyati Bhandari

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