सोम प्रदोष विशेष: इन शुभ पंक्तियों में छिपा है, मानव जीवन की हर परेशानी का हल

punjabkesari.in Sunday, Oct 03, 2021 - 04:20 PM (IST)

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यूं तो भोलेनाथ की पूजा कभी भी की जा सकती है परंति सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजा के लिए विशेष माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन इनकी आराधना अन्य दिनों की तुलना में अति लाभकारी साबित होती है। जिस कारण शिव भक्त पूरी श्रद्धा पूर्वक इनकी पूजा अर्चना करते दिखाई देते हैं। इसी कड़ी में भक्त इनका जलाभिषेक करते हैं तथा कई तरह के मंत्रों का जप करते हैं। इसके अलावा इस दिन चालीसा का पाठ भी किया जाता है। परंतु बहुत कम लोग जानते हैं कि शिव चालीसा की कुछ पंक्तियों मानव जीवन की लगभग हर समस्या का समाधान छिपा हुआ है। जी हां, ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जो व्यक्ति प्रतिदिन व खासतौर पर सोमवार के दिन शिव चालीसा की इन पंक्तियों का जाप करता है, उसके जीवन में सौभाग्य,आरोग्य,सुख-शांति, धन,वैभव,प्रेम की वृद्धि होती है। साथ ही साथ कर्ज से मुक्ति होती है व जीवन की समस्त इच्छाएं पूर्ण होती हैं। यहां जानें शिव चालीसा- 

।। दोहा ।।

श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।
कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान॥

सुख शांति के लिए
जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥
भाल चन्द्रमा सोहत नीके। कानन कुण्डल नागफनी के॥
अंग गौर शिर गंग बहाये। मुण्डमाल तन छार लगाये॥
वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे। छवि को देख नाग मुनि मोहे॥

शत्रु नाश के लिए
मैना मातु की ह्वै दुलारी। बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥

परिवार में प्रेम के लिए
नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥
कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न काऊ॥
देवन जबहीं जाय पुकारा। तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥

संकट नाश के लिए
किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥
तुरत षडानन आप पठायउ। लवनिमेष महँ मारि गिरायउ॥
आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा॥
त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई। सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥

कृपा प्राप्ति के लिए
किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तसु पुरारी॥
दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥
वेद नाम महिमा तव गाई। अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥

रोग दोष निवारण के लिए
प्रगट उदधि मंथन में ज्वाला। जरे सुरासुर भये विहाला॥
कीन्ह दया तहँ करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥

पूजन रामचंद्र जब कीन्हा। जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥
सहस कमल में हो रहे धारी। कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥
एक कमल प्रभु राखेउ जोई। कमल नयन पूजन चहं सोई॥

इच्छित वरदान के लिए
कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर। भये प्रसन्न दिए इच्छित वर॥
जय जय जय अनंत अविनाशी। करत कृपा सब के घटवासी॥

दुष्ट व्यक्ति और विचारों से बचने के लिए
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै । भ्रमत रहे मोहि चैन न आवै॥
त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। यहि अवसर मोहि आन उबारो॥
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो। संकट से मोहि आन उबारो॥

भारी संकट नाश के लिए
मातु पिता भ्राता सब कोई। संकट में पूछत नहिं कोई॥
स्वामी एक है आस तुम्हारी। आय हरहु अब संकट भारी॥

धन प्राप्ति के लिए
धन निर्धन को देत सदाहीं। जो कोई जांचे वो फल पाहीं॥
अस्तुति केहि विधि करौं तुम्हारी। क्षमहु नाथ अब चूक हमारी॥
शंकर हो संकट के नाशन। मंगल कारण विघ्न विनाशन॥

योगी यति मुनि ध्यान लगावैं। नारद शारद शीश नवावैं॥
नमो नमो जय नमो शिवाय। सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥
जो यह पाठ करे मन लाई। ता पार होत है शम्भु सहाई॥

ऋण मुक्ति के लिए
ॠनिया जो कोई हो अधिकारी। पाठ करे सो पावन हारी॥

संतान प्राप्ति के लिए
पुत्र हीन कर इच्छा कोई। निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई॥
पण्डित त्रयोदशी को लावे। ध्यान पूर्वक होम करावे ॥
त्रयोदशी ब्रत करे हमेशा। तन नहीं ताके रहे कलेशा॥

धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥
जन्म जन्म के पाप नसावे। अन्तवास शिवपुर में पावे॥
कहे अयोध्या आस तुम्हारी। जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥

॥ दोहा ॥

नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा।
तुम मेरी मनोकामना, पूर्ण करो जगदीश॥
मगसर छठि हेमन्त ॠतु, संवत चौसठ जान।
अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण॥


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Content Writer

Jyoti

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