Smile please: पृथ्वी के सबसे खुश इंसान बनने के लिए छोड़ दे बस ये आदत

punjabkesari.in Monday, Jan 23, 2023 - 02:05 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Smile please: हम सभी इस तथ्य से परिचित हैं कि किसी भी प्रकार के नशेबाजी की दुष्प्रवृत्ति से व्यक्ति और समाज को असीम हानि उठानी पड़ती है, स्वास्थ्य बिगड़ता है, बुद्धिबल घटता है, क्रिया शक्ति क्षीण होती है, लोगों में निंदा होती है, परिवार में क्लेश पनपता है, बच्चे कुसंस्कारी बनते हैं। दुर्व्यसनों के इतने अधिक नकारात्मक दुष्प्रभावों के बावजूद सभी प्राणियों में श्रेष्ठ होने का दावा करने वाले मनुष्य को क्यों यह सब महसूस नहीं हो पाता?

1100  रुपए मूल्य की जन्म कुंडली मुफ्त में पाएं। अपनी जन्म तिथि अपने नाम, जन्म के समय और जन्म के स्थान के साथ हमें 96189-89025 पर व्हाट्सएप करें

अपनी बुद्धि पर बड़ा गर्व करने वाले मनुष्य को क्या इतनी भी समझ नहीं है कि उसे किस वस्तु का सेवन करना है और किस वस्तु से दूर रहना है ?

जन साधारण के स्वास्थ्य को बर्बाद करने वाली बुरी आदतों में नशा सेवन सर्वाधिक व्यापक है और उसमें भी प्रमुखत: तम्बाकू व शराब ने तो सर्वसाधारण को अपने चंगुल में इस कदर फंसा रखा है कि पीढ़ियों की पीढ़ियां बर्बाद हो चुकी हैं।

तम्बाकू एक ऐसा विषैला पदार्थ है जो मनुष्य के स्वभाव और शारीरिक स्थिति में सुखद परिणाम कभी भी उत्पन्न नहीं कर सकता। इसके सेवन में केवल हानि ही हानि है, लाभ तनिक भी नहीं। फिर भी न जाने क्यों लोग इसका खाने-पीने से लेकर सूंघने, दांतों पर रगड़ने आदि तरीकों से सेवन करके अपने धन और स्वास्थ्य की बर्बादी करते चले जा रहे हैं।

स्पष्ट: तम्बाकू एक ऐसा विषैला पदार्थ है जिसमें निकोटिन, कोलतार, कार्बन मोनोऑक्साइड, कोयले की गैस आदि कई घातक जहर होते हैं जिनके प्रभाव से तम्बाकू सेवन करने वाले को कैंसर, हृदयाघात, पक्षाघात, हाथ-पैर गलना, रक्तचाप असंतुलन तथा शारीरिक कमजोरी जैसे रोग हो जाते हैं। मस्तिष्क की क्षमता शिथिल हो जाती है। स्वभाव चिड़चिड़ा हो जाता है। अनिद्रा, बेचैनी, उदासी और निराशा के भाव तम्बाकू के प्रभाव से व्यक्ति के जीवन का अंग बन जाते हैं।

ऐसे व्यक्ति का व्यक्तित्व इतना विकृत हो जाता है कि कोई भी व्यक्ति उसके नजदीक संपर्क में आने से बचने की कोशिश करता है क्योंकि उसके दांत और चेहरा गंदे व वीभत्स हो जाने के कारण बदबू फैलाते हैं।

‘विश्व स्वास्थ संगठन’ के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार पूरी दुनिया में लगभग 60 अरब डालर की तम्बाकू व धूम्रपान सामग्री प्रतिवर्ष नशेड़ियों द्वारा उपयोग कर ली जाती है और इससे होने वाले रोगों के उपचार पर स्वास्थ्य सेवाओं में प्रतिवर्ष 100 खरब डालर व्यय होता है। यह पूरी दुनिया के संदर्भ में सामान्य जानकारी है परन्तु इसे व्यक्ति की जेब पर बोझ के रूप में देखने पर इसका भारी होना स्पष्ट होगा।

मान लीजिए, कोई व्यक्ति तम्बाकू, बीड़ी या धूम्रपान पर 10 रुपए प्रतिदिन खर्च करता है, तो उसका एक माह का व्यय 300 रुपए और एक वर्ष का व्यय 3,600 रुपए बनता है। अब यदि यह राशि बचा ली जाए और बैंक में जमा की जाती रहे तो इसी जीवन में लगभग 40 लाख रुपए तक जमा हो जाते हैं।

अर्थात जो व्यक्ति गरीबी के कारण स्वयं के उचित आहार, यहां तक कि बच्चों के दूध और शिक्षा पर भी खर्च नहीं कर पाता, वह तम्बाकू जैसी मद में खर्च करके स्वयं गरीबी को बुलावा देता है। किशोरावस्था में व्यक्तित्व को आकर्षक बनाने के लिए एवं उचित मार्गदर्शन के अभाव और गलत संगत में पड़ कर जिज्ञासावश तम्बाकू का स्वाद चखने वाला नवयुवक धीरे-धीरे इसे कब आदत बना लेता है, उसे पता ही नहीं चलता, परन्तु जब तक उसे पता चलता है तब तक देर हो चुकी होती है ! 

PunjabKesari kundli


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Niyati Bhandari

Recommended News

Related News