क्यों विश्वभर में सिद्धिविनायक मंदिर को माना जाता है खास ?
punjabkesari.in Wednesday, Dec 18, 2019 - 12:31 PM (IST)
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हमारे भारत देश में बहुत से ऐसे प्राचीन मंदिर स्थापित हैं, जिनकी मान्यताएं ही अलग है। आज बुधवार के दिन हम बात करेंगे, भगवान गणेश जी के ऐसे प्राचीन मंदिर की जोकि अपने आप ही प्रसिद्ध हासिल किए हुए है। वैसे तो दुनियाभर में गणेश जी के बहुत मंदिर हैं, लेकिन मुंबई के सिद्धिविनायक मंदिर की बात ही कुछ अलग है। यहां देश ही नहीं बल्कि विदेशों से भी लोग बप्पा के दर्शन के लिए आते हैं। बड़े-बड़े स्टार, पॉलिटिशियन और उघोगपति भी भगवान के दर्शनों के लिए आते हैं।
गणेश उत्सव में यहां बप्पा के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है, देश ही नहीं विदेशों से लोग इस उत्सव को देखने आते हैं। बप्पा की भव्य मूर्ति के दर्शन के साथ इस मंदिर से जुड़ी कई दिलचस्प बातें हैं जिसके बारे में कम लोग जानते हैं आइए आज हम आपको इस मंदिर के बारे में कई महत्वपूर्ण बातें बताते हैं।
सिद्धिविनायक मंदिर की सबसे खास बात ये है कि भगवान अपने हर भक्त की मनोकामना को जल्दी ही पूर्ण कर देते हैं। इसे सबसे लोकप्रिय स्थलों में से एक गिना जाता है। इसे भगवान गणेश जी का सबसे लोकप्रिय रूप है, जिसमें उनकी सूंड दाईं और मुडी होती है, जानकारी के अनुसार गणेश की ऐसी प्रतिमा वाले मंदिर सिद्धपीठ कहलाते हैं और इसीलिए इसे सिद्धिविनायक मंदिर के नाम से जाना जाता है।
ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर की संरचना पहले काफी छोटी थी, ईटों से बनी हुई थी और इसमें गुंबद आकार का शिखर था। बाद में इस मंदिर को फिर से बनाया गया।गणपति बप्पा के सिद्धिविनायक मंदिर का निर्माण 19 नवंबर 1801 को एक लक्ष्मण विथु पाटिल नाम के एक स्थानीय ठेकेदार द्वारा किया गया था। बहुत कम लोग इस बात को जानते हैं कि इस मंदिर के निर्माण में लगने वाली धनराशि एक कृषक महिला ने दी थी। कहा जाता है कि उस महिला के कोई संतान नहीं थी, उस महिला ने बप्पा के मंदिर के निर्माण के लिए मदद करने की इच्छा जताई थी। वह चाहती थी कि मंदिर में आकर भगवान के आशीर्वाद पाकर कोई महिला बांझ न रहे, सबको संतान प्राप्ति हो।
इस मंदिर की विशेषता यह है कि इसके द्वार हर धर्म के लोगों के लिए खुले रहते हैं यहां किसी तरह की कोई मनाही नहीं है। यहां मंगलवार को होने वाली आरती बहुत प्रसिद्ध है जिसमें श्रद्धालुओं की लाइन 2 किलोमीटर तक लंबी होती है। बता दें कि इस स्थान की गिनती भारत के सबसे अमीर मंदिरों में से की जाती है। कुछ जानकारों के अनुसार यह मंदिर हर साल 100 से मिलियन से 150 मिलियन धनराशि दान के रूप में प्राप्त करता है।